Edited By: Dhanesh Diwakar
अमेरिका तथा चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का सर्वाधिक फायदा दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को होना चाहिए था, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा। ट्रेड वॉर से भारत के लाखों युवाओं व सस्ते मजदूरों को अवसर मिलने चाहिए थे, जबकि आंकड़े कुछ और बयां कर रहे हैं। हालत यह है कि पिछले कुछ महीनों में देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बढ़ोतरी के बजाय गिरावट दर्ज की गई है।
इसी साल फरवरी में केंद्र सरकार ने एफडीआई का नया कानून लागू कर दिया, जिससे दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों ऐमजॉन और वॉलमार्ट इंक के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट को भारी झटके का सामना करना पड़ा।इसी महीने, सऊदी अरब द्वारा समर्थित 44 अरब डॉलर की लागत वाली प्रस्तावित ऑयल रिफाइनरी को दूसरी जगह शिफ्ट करना बड़ा, क्योंकि स्थानीय किसानों ने इस परियोजना का विरोध किया और इसके लिए जमीन देने से इनकार कर दिया।
भारत को मैन्युफैक्चरिंग एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने की बेहद जरूरत है। इस राह में असीम संभावनाएं हैं। पश्चिमी देशों की कंपनियां भारत के लिए चीन का विकल्प बन सकती हैं। अगर भारत ने विकल्प दिया होता तो इससे उसे बड़ा फायदा होता।’
भारत को दहाई आंकड़े में विकास दर चाहिए तो उसे निवेश और जीडीपी के अनुपात को 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के निवेश स्तर को पाकर हमने चीन तथा पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को बेहद तेज गति से आगे बढ़ते हुए देखा है।’