Edited By: Dhanesh Diwakar
छत्तीसगढ़ के खुशबूदार चावल की बात ही कुछ और है। इस खुशबूदार चावल की मांग अब प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में भी बढ़ती जा रही है। सुगंधित धान की पैदावार ने किसानों की आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी की तो वहीं प्रदेश का नाम भी अन्य राज्यों में सुगंधित चावल की वजह से रोशन हो गया है।
ऐसे में किसान भी मोटे धान के बदले पतले व खुशबूदार धान की फसल लेना शुरू कर दिए हैं। इससे अधिकांश जिले में तगड़ा मुनाफा देने वाले सुगंधित धान की किस्में खेतों में छा गई हैं। पांच साल पहले तक छत्तीसगढ़ से दुबराज, जंवाफूल, विष्णुभोग, जीरा फूल और तरुण भोग जैसे खास सुगंधित चावल का एक्सपोर्ट सालाना पांच लाख टन था, लेकिन मांग ने कुछ इस तरह से सुगंधित चावल की खपत बढ़ाई कि एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि एरोमेटिक चावल ने दिल्ली, जयपुर, मद्रास शहर के लोगों को भी अपना दीवाना बना दिया है। बढ़ती मांग के चलते छत्तीसगढ़ भवन में आम लोगों के लिए चावल की बिक्री के लिए योजना बनाई गई है।
15 से 20 मई तक छत्तीसगढ़ भवन में चावल बिक्री मेले का आयोजन किया जा रहा है। यहां पर छत्तीसगढ़ के सुगन्धित चावल की अनेक किस्में उपलब्ध होंगी। इसे आम लोग किफायती दाम में खरीद सकते हैं। इसे आम लोग किफायती दाम पर खरीद सकते हैं। यहां पर प्रमुखतः दुबराज, विष्णु भोग, एचएमटी, श्रीराम जैसी सुगंधित चावल की किस्मे होंगी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में उच्च क्वालिटी के चावल की छोटी खेप छत्तीसगढ़ से मंगाई है।
फैक्ट फाइल
- 23450 प्रजातियां हैं धान की छत्तीसगढ़ में
- 1000 किस्में हैं सुगंधित चावल की दुनिया में
- 150 किस्में हैं सुगंधित चावल की भारत में
- 16 किस्में हैं सुगंधित चावल की प्रदेश में