खेती-अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे दिन! इस साल सामान्य रहेगी मॉनूसन की बारिश
इस साल मॉनसून की बारिश सामान्य रहने से खेती और समूची अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे दिन आने की संभावना है। मौसम विभाग ने मॉनसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है। इससे खरीफ सीजन में पैदावार अच्छी होगी।सामान्य मॉनसूनी बारिश से खेती के होंगे अच्छे दिन सामान्य मॉनसूनी बारिश से खेती के होंगे अच्छे दिनभारत में इस साल मॉनसून की बारिश सामान्य रह सकती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने यह जानकारी दी है। इससे कृषि पैदावार अच्छी होगी और देश की अर्थव्यवस्था को गति को मजबूत आधार मिलेगा।
गौरतलब है कि देश की करीब आधी खेती की जमीन सिंचाई के लिए मॉनसूनी बारिश पर ही निर्भर रहती है। समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम। राजीवन ने कहा कि दीर्घकालिक अवधि में मॉनसून की बारिश का औसत 96 फीसदी रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच हुई बारिश को औसत या सामान्य मानसून के रूप में परिभाषित करता है। 2017 और 2018 में, क्रमशः 95 फीसदी और 91 फीसदी बारिश हुई थी।आईएमडी ने अपने अनुमान में कहा है, ‘कुल मिलाकर 2019 के मॉनसून सीजन के दौरान देश में मॉनसून की वर्षा का वितरण काफी अच्छा रहेगा, जिससे खरीफ के सीजन में किसानों को फायदा होगा।
’गौरतलब है कि मॉनसून की बारिश भारत की कृषि आधारित 2.6 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा है। मॉनसून दक्षिण भारत के केरल में 1 जून को पहुंचता है और सितंबर तक राजस्थान होते हुए वापस चला जाता है।अच्छी होगी पैदावारसामान्य मॉनसून से खरीफ सीजन में फसल अच्छी होगी और पैदावार अच्छी होने से ग्रामीण इलाके में लोगों की आय बढ़ेगी और उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च बढ़ेगा। यदि मॉनसून की वजह से पैदावार अच्छी हुई तो आगे भी महंगाई नियंत्रण में रहेगी। महंगाई के लगातार नरम रहने से रिजर्व बैंक पर इस बात के लिए दबाव बढ़ेगा कि ब्याज दरों में कटौती की जाए।
रिजर्व बैंक अपने मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा लोकसभा चुनाव के बाद 6 जून को करने वाला है। हालांकि इसका एक नुकसान यह है कि अच्छी पैदावार होने से फसलों की कीमत कम रहेगी और इससे किसानों के लिए कुछ मुश्किल बढ़ सकती है। लगातार पांच महीने तक गिरावट के सिलसिले के बाद देश में खाद्य वस्तुओं की खुदरा दर में 0.30 फीसदी की बढ़त हुई है।अल नीनो का असर नहींइस साल मॉनसून की बारिश सामान्य रहने की एक वजह यह है कि इस बार अल नीनो इफेक्ट नहीं है।
अल नीनो कमजोर पड़ रहा है और आगे इसका असर और कम होगा। असल में, अल नीनो के मजबूत होने से प्रशांत महासागर में समुद्री सतह गरम हो जाती है और इससे भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया में सूखा पड़ता है, जबकि दुनिया के दूसरे हिस्सों जैसे अमेरिका, मध्य-पूर्व और ब्राजील में मूसलाधार बारिश होती है। साल 2014 और 2015 में अल नीनो के मजबूत रहने से ही भारत सहित कई देशों में सूखा पड़ा था। इससे भारतीय किसानों की हालत और खराब हुई थी, तथा आत्महत्याएं काफी बढ़ गईं थीं।
आर्थिक तरक्की को बल मिलेगामॉनसून की बारिश अच्छी होने से चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों का उत्पादन अच्छा होगा। इससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है, लेकिन दिसंबर की तिमाही में ग्रोथ सिर्फ 6.6 फीसदी हुई है और यह पिछले पांच तिमाहियों में सबसे कम है।