संस्कृति विभाग परिसर में संचालित गढ़कलेवा का संचालन अब मुफ्त में नहीं होगा। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के पारंपरिक हॉटल के रूप में पहचान बना चुके गढ़कलेवा को ठेके पर दिया जाएगा
रायपुर। संस्कृति विभाग परिसर में संचालित गढ़कलेवा का संचालन अब मुफ्त में नहीं होगा। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के पारंपरिक हॉटल के रूप में पहचान बना चुके गढ़कलेवा को ठेके पर दिया जाएगा। इसके लिए 12 शर्तों के साथ एक साल के अनुबंध पर गढ़कलेवा के संचालन के लिए टेंडर निकाला गया है। जिसमें गढ़कलेवा संचालित करने वाली संस्था को टेंडर की शर्तों के मुताबिक प्रति महीने संस्कृति विभाग को किराया देना होगा।
बता दें कि संस्कृति विभाग के संग्राहलय परिसर में गढ़कलेवा का पिछले तीन साल से एक महिला स्व.सहायता समूह द्वारा बिना टेंडर, नियम-शर्त व किराए के मुफ्त में संचालित किया जा रहा है। अब तक संस्कृति विभाग के संग्र्रहालय परिसर में संचालित हो रहे गढ़कलेवा से विभाग को किसी तरह का आर्थिक लाभ नहीं हो रहा था। गढ़कलेवा के छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि महीने में लाख रुपए से अधिक की बिलिंग हो रही है। इसे देखते हुए संस्कृति विभाग ने गढ़कलेवा परिसर को व्यवसायिक रूप से उपयोग करने का निर्णय लिया है, ताकि विभाग को इससे कुछ वित्तीय लाभ भी हो सके।
राजधानी के संस्कृति विभाग के महंत घासीदास संग्रहालय परिसर में छत्तीसगढ़ी व्यंजन गढ़कलेवा के शुरुआत के बाद यह पहली बार है, जब इसके संचालन के लिए टेंडर होगा। 15 अक्टूबर को खुलेगा टेंडर संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गढ़कलेवा के लिए प्राप्त टेंडर की फाइल 15 अक्टूबर को खुलेगी। यह टेंडर जिस संस्था के नाम से खुलेगाए उन्हें एक साल के लिए गढ़कलेवा को निर्धारित शर्तों पर संचालन के लिए सौंप दिया जाएगा।