Edited By : Dhanesh Diwakar
छत्तीसगढ़ में दो हजार साल पुरानी बसाहट का अब राज खुलेगा। दुर्ग जिला के पाटन तहसील अंतर्गत ग्राम जमराव में खारुन नदी के बायें तट स्थित प्राचीन टीले पर खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया है। अभी बायीं ओर के छोटे टीले (क्षेत्रफल लगभग 7600 वर्ग मीटर) के दक्षिणी हिस्से में उत्खनन का विन्यास तैयार किया गया है। जमराव में अभी दो टीलों में खुदाई होगी। यहां से दो हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष प्राप्त होंगे, जिससे इतिहासकार खारून नदी के किनारे बसने वाली सभ्यता पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इसके पूर्व वर्ष 2014-15 में संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा जमराव के टीलों का विस्तृत अन्वेषण कराया गया था। इससे कुषाण कालीन सिक्के, मनके, मृण्मय मूर्तियां और मिट्टी के ठीकरे मिले थे। इसके उत्खनन के बाद छत्तीसगढ़ एवं इस अंचल के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ेगा और रोचक तथ्य उजागर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। पूर्व में संग्रहाध्यक्ष डॉ. प्रताप चंद पारख ने यहां टीलों में प्राचीन सभ्यता होने के संबंध में सर्वे किया था। उस दौरान ऊपरी सतहों पर कुषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुए थे।
उत्खननकर्ता प्रभात सिंह ने बताया कि उत्खनन के लिए दो टीले चिन्हांकित किए गए हैं। इनका आकार 150 बाई 83 मीटर तथा 95 बाई 80 मीटर का है। खुदाई वाली जगहों को चिन्हांकित कर लिया गया है। एएसआई की गाइडलाइन के मुताबिक खुदाई की जाएगी। पहले उर्ध्वाधर खुदाई की जाएगी। इससे विभिन्न कालों में यहां बसी सभ्यता की जानकारी मिल सकेगी। ऊर्ध्वाधर खुदाई से मिले प्रमाणों के बाद क्षैतिज खुदाई किया जाए। जमराव में खुदाई होने के बाद खारून नदी घाटी सभ्यता के आसपास पनपने वाली संस्कृति की मुकम्मल जानकारी हो सकेगी