एक नए अध्ययन में इस बात के संकेत मिले हैं कि जो कर्मचारी कार्यस्थल पर अनहेल्दी भोजन खाते हैं, ऐसे लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है. ऐसे लोगों को चिकित्सक सलाह देते हैं कि कार्यस्थल पर जंक फूड की जगह फास्ट फूड को तरजीह दी जाए. एक नए अध्ययन में इस बात के संकेत मिले हैं कि जो कर्मचारी कार्यस्थल पर अनहेल्दी भोजन खाते हैं, ऐसे लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है. ऐसे लोगों को चिकित्सक सलाह देते हैं कि कार्यस्थल पर जंक फूड की जगह फास्ट फूड को तरजीह दी जाए. अस्वास्थ्यकर भोजन के विकल्प भी समय के साथ मोटापे का कारण बन सकते हैं. इस तथ्य पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के चलते कार्यालय में अनुपस्थिति, कम उत्पादकता की शिकायतें झेलनी पड़ सकती हैं.
जंक फूड खाने से अधिक वसा एकत्र होने की प्रवृत्ति होती है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है. इसका एक प्रमुख कारण लोगों की आज की जीवनशैली है. दौड़ते-भागते और तेज-रफ्तार जीवन के कारण अक्सर लोग सुबह नाश्ता नहीं कर पाते और दिन के बाकी समय अस्वास्थ्यकर और फटाफट वाला भोजन खाते हैं. काम के दौरान जंक फूड (ट्रांस फैट्स वाली रिफाइंड कार्ब्स) की जगह फास्ट फूड (फल, दूध, दही, सलाद, ड्राइफ्रूट्स, सत्तू, नींबू पानी, गन्ने का रस या शहद) लेना चाहिए. लोगों को कैफेटेरिया या वर्कप्लेस में फल और सब्जियां स्टॉक करना, मिठाई की जगह फल पर अधिक जोर देना चाहिए.
किसी को भी जरूरत से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए. स्वाद कलिकाएं केवल जीभ के सिरे और किनारे पर होती हैं. यदि आप जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं, तो मस्तिष्क को संकेत नहीं मिलेंगे. छोटे ग्रास बनाकर खाने और उन्हें ठीक से चबाने से स्वाद कलियों के माध्यम से संकेत दिमाग को मिलते हैं. मस्तिष्क को केवल तभी संकेत मिलता है, जब पेट 100 प्रतिशत भरा होता है. इस प्रकार, कोई कितना खा सकता है, यह पेट की परिपूर्णता पर निर्भर करता है.”