Edited By: Dhanesh Diwakar
जब विपक्ष ने राफेल सौदे को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था तब छतीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक गांव के लोग सहम गए थे। दरअसल, महासमुंद जिले के सराईपाली ब्लॉक के एक गांव का नाम ‘राफेल’ है। इस ब्लॉक के लिए ‘राफेल’ के मायने चार गांवों- परेवापाली, बागद्वारी, देवरीगढ़ और राफेल से मिलकर बनी एक ग्राम पंचायत भर है। यही वजह थी कि फ्रांस से हुए रक्षा सौदे के सुर्खियों में आने के बाद ‘राफेल’ को लेकर इलाके के लोगों में एक स्वाभाविक कौतूहल थी।
सरपंच धनीराम पटेल के मुताबिक, इन चार गांवों की आबादी लगभग 1700 है। इस पंचायत में लगभग एक हजार वोटर हैं। सराईपाली से सम्बलपुर ओडिशा राष्ट्रीय राजमार्ग-53 पर छुईपाली गांव है जहां से ‘राफेल’ गांव की दूरी तीन किलोमीटर है। नेशनल हाइवे पर ‘राफेल’ गांव का रास्ता बताते हुए एक बोर्ड लगा हुआ है। यहां कुम्हारों की संख्या अधिक है। इसके अलावा यहां आदिवासी भी हैं। गांव में 75 फीसद आबादी शिक्षित है, बावजूद शुरुआती दौर में ‘राफेल’ मसला सुर्खियों में आने की वजह गांव वालों के लिए समझना इतनी आसान न थी।
सरपंच धनीराम का कहना है कि जब बार-बार गांव का नाम सुर्खियों में आने लगा तो युवाओं ने वजह जानने की कोशिश की। सोशल मिडिया, यू-ट्यूब पर सर्च करने के साथ जब उन्होंने विपक्ष के भाषणों को सुना, तब पता चला कि उनके गांव के नाम वाले लड़ाकू विमान के सौदे पर इतना सियासी हंगामा बरपा है। धनीराम कहते हैं कि गांव के अशिक्षित लोग अब भी ‘राफेल’ का जिक्र होने पर गांव को लेकर ही बवाल भड़कना समझ लेते हैं। विपक्षी दल जब यह कहते हैं कि उनकी सरकार आएगी तो ‘राफेल’ मामले की जांच कराएंगे तो लोग पूछते हैं गांव में किस बात की जांच होगी।