‘जूता कांड’ नया नहीं है हिंदुस्तान की राजनीति में 

Edited By: Dhanesh Diwakar

अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश से सेकर सद्दाम हुसैन और केजरीवाल से लेकर चिदंबरम और गडकरी तक पर जूते उछाले जा चुके हैं. मगर गुरुवार को बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी के प्रवक्ता और सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव पर जिस वजह से जूता उछाला गया, वो थोड़ा हटकर था.
पुलिस ने आरोपी शक्ति भार्गव को देर तक पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया था पुलिस ने आरोपी शक्ति भार्गव को देर तक पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया था

एक बार फिर जूता पैरों से बाहर निकल आया. एक बार फिर जूता तबीयत से हवा में उछाला गया. और एक बार फिर जूते के निशाने पर नेता जी थे. हालांकि नेताओं पर जूता फेंके जाने का सिलसिला पुराना है. अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश से सेकर सद्दाम हुसैन और केजरीवाल से लेकर चिदंबरम और गडकरी तक पर जूते उछाले जा चुके हैं. मगर गुरुवार को बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी के प्रवक्ता और सांसद जीवीएल नरसिम्हा पर जिस वजह से जूता उछाला गया और जिस शख्स ने जूता उछाला वो थोड़ा हट कर था.

18 अप्रैल 2019, बीजेपी मुख्यालय, दिल्ली

बीजेपी प्रवक्ता और सांसद जीवीएल नरसिम्हा ने अभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस की लानत मलामत की शुरुआत की ही थी कि अचानक रॉकेट की तरह उछलकर आए एक जूते ने उन्हें सन्न कर दिया. हिंदुस्तान की सियासत के मौजूदा दौर में ये जूता मुखालफत का दूसरा नाम बन चुका हैं. और तो और आप इस जूते को जिन्न भी कह सकते हैं. जो कभी भी. कहीं भी. प्रकट हो सकता है. जैसा दिल्ली में जीवीएल नरसिम्हा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ. मगर हिंदुस्तान की राजनीति का ये ‘जूता काल’ नया नहीं है. इससे पहले कई भारतीय नेताओं पर जूता अटैक हो चुका है.

7 अप्रैल 2009,

वित्तमंत्री पर चला जूता

26 अप्रैल 2011,

सुरेश कलमाड़ी पर बरसे जूते

7 अक्टूबर 2014,

गडकरी पर जूते से हमला

14 अप्रैल 2016,

कन्हैया कुमार पर चला जूता

01 जनवरी 2017,

अरविंद केजरीवाल पर चले जूते

जूतों के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की किस्मत सबसे खराब रही है. इन पर एक नहीं दो दो बार जूते चल चुके हैं. कालिख भी फेंकी गई और एक ऑटो ड्राइवर ने तो इन्हें थप्पड़ ही मार दिया था.

जूता कांड की घटना के बाद बीजेपी प्रवक्ता नरसिम्हा राव ने तुंरत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने अपनी बात जारी रखी. इस घटना पर बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि जिस भी शख्स ने यह किया और अगर किसी के कहने पर किया है तो यह बेहद दुखद है. यह अमर्यादित आचरण है और लोकतंत्र में इसके लिए कोई जगह नहीं है. वहीं बीजेपी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह बहुत दुखद और निंदनीय है.
जॉर्ज बुश से लेकर मुशर्रफ तक. चिदंबरम से लेकर अरविंद केजरीवाल तक और तो और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पर ये जूता अपनी ताकत का प्रदर्शन कर चुका है. दुनिया में भले ही जूते वाली घटनाएं गिनती की हुई हों. मगर हिंदुस्तान की राजनीति में जब से जूता काल आया है तब से जहां देखो जूते ही बरस रहे हैं.

अगर ये जूता यूं ही अपनी ताकत का मुज़ाहेरा करता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब नेताओं को या तो धार्मिक स्थलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ेगी. या वो अपने आगे माइक के अलावा आदमकद के शीशे भी लगवा लेंगे. कई बड़े नेता तो जब पब्लिक रैली करते हैं तो पब्लिक से करीब 200 मीटर की दूरी पर अपना स्टेज सजवाते हैं. ताकि उन तक इसकी आमद मुमकिन ना हो सके.

बीजेपी नेता जीवीएल पर चले इस एक जूते ने प्रेस कॉन्फ्रेंस पर पानी तो फेरा ही. बल्कि पूरे बीजेपी दफ्तर का माहौल ही बदल कर रख दिया. जीवीएल की सुरक्षा में लगे लोग जूता फेंकने वाले आरोपी पर टूट पड़े. मगर वो अपना काम कर चुका था.

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