देवउठनी एकादशी पर ना करें ये काम, नाराज हो सकते हैं विष्णु भगवान

एकादशी का पर्व श्रीहरि विष्णु और उनके अवतारों के पूजन का पर्व है. श्रीहरि की उपासना की सबसे अद्भुत एकादशी कार्तिक महीने की एकादशी होती है जब श्रीहरि जागते हैं. इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को है. देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा के बाद जागते हैं. हिंदू परंपराओं के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की शादी तुलसी से होती है.

आइए जानते हैं इस दिन भूलकर भी कौन से काम नहीं करने चाहिए. एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसे खाने से व्यक्ति का मन चंचल होता है और उसका मन प्रभु भक्ति में नहीं लगता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है.

एकादशी की सुबह दातून करना वर्जित है. इस दिन किसी पेड़-पत्ती की फूल-पत्ती तोड़ना वर्जित है. एकादशी के दिन उपवास करें या ना करें लेकिन ब्रह्माचर्य का पालन करें. इस दिन संयम रखना जरूरी है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी को बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना चाहिए.

एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलें, इससे पाप लगता है. झूठ बोलने से मन दूषित हो जाता है और दूषित भक्ति से पूजा नहीं की जाती है. एकादशी के दिन भूलकर भी क्रोध नहीं करें. देवउठनी एकादशी पर अनाज, दालें और बीन्स खाने से परहेज करना चाहिए. अगर एकादशी पर पूरी तरह से फास्टिंग रखें या केवल पानी पिएं तो सर्वोत्तम है लेकिन अगर व्यस्त दिनचर्या है तो फल, दूध या बिना अनाज वाली चीजें खा सकते हैं.

एकादशी और उसके अगले दिन द्वादशी पर तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए. मांस और नशीली वस्तुओं का सेवन भूलकर ना करें. स्नान के बाद ही कुछ ग्रहण करें. देवउठनी एकादशी की सुबह घर पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. एकादशी के व्रत का मुख्य उद्देश्य यही है कि शरीर की जरूरतों को कम करके ज्यादा से ज्यादा वक्त आध्यात्मिक कार्यों में दिया जा सके.
