Edited By: Dhanesh Diwakar
बस्तर में आतंक का जड़ जमा चुके नक्सलियों को उखाड़ फेंकने अब डीआरजी की महिला कमांडोज सुपर-30 उतर चुकी हैं। इन सभी महिला कमांडोज का अपना अलग– अलग गहरा दर्द है। इधर शहादत को सलाम करते पति के लक्ष्य को पूरा करने पत्नी ने नक्सलियों के खिलाफ बंदूक उठाई है। इसी तरह सुपर-30 की हर महिला कमांडोज के मन में नक्सलियों के खिलाफ आक्रोश भरा है। पुलिस अधिकारियों ने ऐसे ही 30 महिलाओं को एकत्र कर डीआरजी की सुपर-30 तैयार की है।
दर्द–जुनून और नक्सलियों के खिलाफ आक्रोश का मिश्रण है सुपर-30
इनका चयन अधिकारियों ने बड़ी सोच और दूरगामी परिणाम के लिए किया है। इन सुपर-30 कमांडोज में ऐसी युवती और महिलाओं को रखा गया है। जो स्थानीय बोली–भाषा और भौगोलिक परिस्थितियों को समझती है। इतना ही नहीं ये लोग भी नक्सलियों के सताए हुए। चाहे आम घरेलू महिला रही हो या नक्सलियों के संगठन पर जिम्मेदार पदों पर। उनका आक्रोश, दर्द और जुनून को देखते अधिकारियों ने 30 विशेष महिला फाइटर्स को लाल लड़ाको के खिलाफ मैदान में उतारा है।
पति को शहादत करने वाले को चुन–चुनकर मारना
सुपर-30 की फाइटर्स मधु पोडियाम कभी घरेलू महिला थी। खेत और घर के काम के बाद परिवार में उलझी रही। आज हाथों में बंदूक थामे नक्सिलियों के खिलाफ खड़ी है। मधु कहती है तो नक्सलियों को चुन–चुनकर मारना है। उसने मेरा सुहाग ही नहीं कई परिवार को उजाड़ दिया है। अब नक्सलियों से जब भी सामना होगा, मैं नहीं मेरा बंदूक बात करेगा। मधु के पति नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए तो वह बच्चे और बुजुर्ग सास–ससूर की देखभाल के लिए फोर्स में भर्ती हो गई।