कुछ दिन पहले चिनूक और अब अपाचे। भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल इन दोनों लड़ाकू हेलीकॉप्टरों ने दुर्गम स्थानों पर भी इसकी मारक क्षमता में कई गुना वृद्धि की है। अपाचे हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है और यह पर्वतीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करेगा। अपाचे को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने इस तरह डिजाइन किया है कि यह दुश्मन की किलेबंदी को भेद कर उस पर सटीक हमला करने में सक्षम है।
क्या खास है अपाचे में
- 550 किलोमीटर है फ्लाइंग रेंज।
- 16 एंटी टैंक मिसाइलें छोड़ने की क्षमता है 16अत्यंत तेज गति वाले अपाचे में
- 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी है।
- 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं, हेलीकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों में।
- इस हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं। इस वजह से इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा है।
- इसका डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है।
- ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ान भर सकता है।
- इस हेलीकॉप्टर में युद्ध के मैदान की तस्वीर को प्रसारित करने और प्राप्त करने की क्षमता है।
- इसका निशाना बहुत सटीक है। जिसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में होता है, जहां दुश्मन पर निशाना लगाते वक्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता है
पायलट को चाहिए विशेष ट्रेनिंग
इसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल है। दो पायलट मिलकर इसे उड़ाते हैं। मुख्य पायलट पीछे बैठता है। उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है। वह हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करता है। आगे बैठा दूसरा पायलट निशाना लगाता है और फायर करता है। इस पर अपना हाथ साधने के लिए पायलट एड मैकी को 18 महीने तक ट्रेनिंग करनी पड़ी थी।