रायपुर,

स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन आदि के लिए पहले से तैयार रहने के लिए राज्य में मुख्यमंत्री शाला सुरक्षा योजना संचालित की जा रही है। जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी इस योजना के नोडल अधिकारी है। बच्चो की सुरक्षा के लिए स्कूलों में सुरक्षित मानक (इंडिकेटर) तैयार हो और सुरक्षित शनिवार मार्गदर्शिका तैयार की जाए। सभी स्कूलों में शाला प्रबंधन समिति गठित की जाएगी।

आज राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद में आयोजित दो दिवसीय मुख्यमंत्री शाला प्रबंधन योजना के प्रशिक्षण के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई। प्रशिक्षण का आयोजन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा यूनिसेफ और अहमदाबाद के ऑल इंडिया डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट््यूट के तकनीकी सहयोग से किया जा रहा है। प्रशिक्षण में राज्य के सभी विकासखण्डों से एक-एक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी उपस्थित थे। यह प्रशिक्षण बिहार और गुजरात राज्य से आए रिसोर्स पर्सन द्वारा दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले मास्टर टेनर्स अपने क्षेत्र के

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया कि स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के नेतृृत्व में राज्य स्तरीय दल ने स्कूल सुरक्षा प्रबंधन के अध्ययन के लिए बिहार राज्य का  दौरा कर विद्यालय सुरक्षा योजना और उसके अंतर्गत सुरक्षित शनिवार योजना का अवलोकन प्रस्तुतिकरण के माध्यम से किया था। डॉ. टेकाम ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शाला सुरक्षा के लिए प्रदेश में ठोस कार्य करने की पहल निर्णय लिया था।

प्रशिक्षण में शाला आपदा प्रबंधन की योजना बनाना, प्राथमिक फस्टएड कैसे किया जाता है, आपदा के समय स्कूल स्तर पर सर्च और तात्कालिक बचाव कैसे करना है कि जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में स्कूल स्तर पर मॉकड्रिल कैसे करते है इसको भी सिखाया गया। आपदा के साथ-साथ मौसम परिवर्तन, बाल संरक्षण, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य, कुपोषण के विषयों में भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में शाला प्रबंधन समिति गठन कैसे करना है, फोकल शिक्षण का चयन, स्कूल स्तर पर आपदा से बचाव और उसकी पहचान, प्राथमिक शाला का फस्टएड मॉकड्रिल और सुरक्षित शनिवार मार्गदर्शिका क्या है उसकी जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि राज्य में विभिन्न बाढ़, सड़क दुर्घटना, सर्प काटना, यौन उत्पीड़न, प्रदूषण, लू-लगना, आग से बचाव, बिजली कड़कना, नौका दुर्घटना, भवन गिरना, मधुमक्खी से बचाव, जानवरों से बचाव, खुला बोरिंग, औद्योगिक प्रदूषण, जमीन धसकना, बिजली करन्ट, खदान, बाल अधिकार, ठंड से बचाव जैसी सम्भावित आपदाएं हैं।