छत्तीसगढ़ की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति और धरोहर से जुड़ी कलाकृतियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं। राज्योत्सव स्थल पर बनाए गए शिल्पग्राम में हाथकरघा और खादी वस्त्रों के साथ-साथ माटी कला के उत्पादों और बर्तनों में लोगों की काफी रूचि देखने को मिल रही है। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा लगाए गए शिल्पग्राम लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का अहसास मिल रहा है। यहां पिछले तीन दिनों में राज्योत्सव में आए शिल्पकारों की विभिन्न सामग्रियां की बिक्री 35 लाख रूपए तक पहुंच चुकी है।
शिल्पग्राम में 44 स्टॉलों में प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए लगभग डेढ़ सौ हस्तशिल्प कलाकार अपनी उत्कृष्ट कलाकृतियों और उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। बस्तर के बेलमेटल और लौह शिल्प जैसी साजवटी वस्तुओं की खूब बिक्री हो रही है, वहीं रायगढ़ के कोसा वस्त्रों की छटा लोगों को आकर्षित कर रही है। माटी कला बोर्ड के द्वारा उत्पादित कलात्मक वस्तुओं और मिट्टी से बने आभूषणों की बिक्री भी हाथों हाथ हो रही है। बेमेतरा जिले के शिल्पियों द्वारा बांस के फर्नीचर, जशपुर के शिल्पियों द्वारा निर्मित गोदना भित्तिचित्र, काष्ठ शिल्प भी लोगों को आकर्षित कर रही है।
शिल्पकारों ने बताया कि खादी, सूती और कोसा वस्त्रों एवं नैसर्गिक रंगो से निर्मित वस्त्रों की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष मांग है, जिसके चलते यहां आने वाले लोग खादी और कोसा कपड़े की खरीदी कर रहे हैं। इस बार राज्योत्सव में मिट्टी के बर्तन, टी-सेट पाट, आकर्षक-सजावटी वस्तुओं और श्रृंगार सामग्रियां और आभूषणों की बिक्री हाथों हाथ हो रही है। इसके अलावा बेलमेटल, लौह-शिल्प, तथा बेमेतरा जिले का बांस शिल्प सहित अनेक वस्तुओं में लोग रूचि ले रहे हैं।