तेज बहादुर यादव की PM मोदी को चुनौती, पता चलेगा कौन है असली चौकीदार

वाराणसी की लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी के रूप में तेज बहादुर यादव एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर खराब खाने का वीडियो वायरल कर ‘रोटी की जंग’ छेड़ने वाले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर को 19 अप्रैल 2017 को सेना से बर्खास्त कर दिया गया था। तेजबहादुर का परिवार नौकरी जाने के बाद एक बड़ी आहत करने वाली घटना से भी गुजर चुका है।

वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। इस बीच तेजबहादुर ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। बल्कि उन्हें निर्देश दिया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे बीएसएफ नहीं छोड़ सकते।

19 अप्रैल को तेज बहादुर को बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर बीएसएफ ने तेज बहादुर यादव को नौकरी से निकालने का फैसला किया था। उन पर सीमा सुरक्षा बल का अनुशासन तोड़ने को लेकर जांच की गई थी और फिर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। वहीं बर्खास्त होने के बाद तेज बहादुर ने कहा था कि वह न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

हरियाणा में महेंद्रगढ़ जिले के राताकलां गांव में रहने वाले तेज बहादुर सिंह का परिवार ही स्वतंत्रता सेनानियों वाला रहा है। बर्खास्त होने के बाद तेजबहादुर यादव फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नाम से एक एनजीओ चलाने लगे। तेज बहादुर का एनजीओ भारत के सभी सैनिकों के हितों के लिए बनाई गई एक संस्था है। जिस का कार्य देश के सभी सैनिकों के हितों की रक्षा के लिए काम करना है। इसी उद्देश्य के साथ तेजबहादुर पहले निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन 29 अप्रैल को सपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।

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