वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्यों कहते हैं मोहिनी एकादशी?

 

बुधवार, 15 मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है, व्रत-उपवास किए जाते हैं। प्राचीन समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था। मोहिनी रूप में अमृत लेकर देवताओं को इसका सेवन करवाया था। जानिए इस तिथि पर क्या करें और क्या नहीं…

क्या-क्या करें एकादशी पर
इस दिन किए गए पूजन पाठ से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। सभी तरह के मोह दूर होते हैं। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर निराहार रहना चाहिए। अगर ये संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। तुलसी परिक्रमा करें।

एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। अगर आप चाहें तो दूध में केसर मिलाकर भी भगवान विष्णु का अभिषेक कर सकते हैं।

किसी मंदिर में जाकर अन्न (गेहूं, चावल आदि) का दान करें। भगवान विष्णु को पीतांबरधारी भी कहते हैं, इसलिए एकादशी पर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान विष्णु को तुलसी की माला चढ़ाएं।

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