शनिश्‍चरी अमावस्‍या का महत्‍व, पूजाविधि और मंत्र

वैशाख कृष्ण अमावस्या शनिवार को सनातन धर्मावलंबी शनि अमावस्या मनाएंगे। शनिदेव की पूजा के साथ स्नान-दान करने से शनि की विशेष कृपा मिलेगी। शनिवार को अमावस्या होने से खास संयोग बन गया है। न्याय के देवता शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि अमावस्या का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री के मुताबिक शनिवार को आयुष्मान योग होने से इस अमावस्या पर पुण्य फलदायी योग हो गया है क शनि अमावस्या पर स्नान-दान, व्रत व पुण्यदायी कार्य करने से पितृ दोष से छुटकारा तथा केतु के क्रूर प्रभाव को भी खत्म किया जा सकता है

इसके साथ ही गृहस्थ आश्रम में खुशहाली के साथ जीवन के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट दूर होते हैं। ज्योतिषी पीके युग ने बताया कि जन्म कुंडली में शानि मजबूत होने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं। शनिदेव की कृपा से वैवाहिक, दांपत्य जीवन, प्रेम प्रसंग में लाभ होता है। भूमि, भवन, वाहन, अचल संपत्ति आदि का सुख प्राप्त होता है।

इन चीजों का दान करें
1. शनि अमावस्या के दिन काली उड़द काले जूते, काले वस्‍त्र, काली सरसों का दान करें।
2. 800 ग्राम तिल तथा 800 ग्राम सरसों का तेल दान करें।
3. काले कपड़े, नीलम का दान करें।
4. हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का अधिक से अधिक दान करें। काले कपड़े में सवा किलोग्राम काला तिल भर कर दान करें। पीपल के वृक्ष पर सात प्रकार के अनाज चढ़ाकर बांट दें।

शनि अमावस्या के दिन गलती से भी अपने घर लोहा या लोहे से बनी चीजें, नमक, काली उड़द दाल, काले रंग के जूते और तेल घर में नहीं लाना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों को घर लाने से दरिद्रता आती है।

शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ स्थान पर बैठें। आप चाहें तो मंदिर जाकर भी शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। कई जगहों पर मान्यता है कि शनिदेव की मूर्ति घर में नहीं रखते हैं इसलिए मन ही मन शनिदेव का ध्यान करें। शनिदेव की पूजा के लिए सरसों तेल का दीया जलाएं और शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें।

रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्रों का जप करें। बेहतर होगा कि आप 5 माला जप करें। शनि देव का बीज मंत्र- ओम प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नमः

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