श्रीलंका का आतंकी हमला तो बेचैन कर देना वाला है क्योंकि श्रीलंका में 10 साल की शांति के बाद आतंक की खूनी वापसी हुई है. श्रीलंका एक ऐसा देश है, जिसने 30 साल तक गृह युद्ध और आतंकवाद झेला है. 2009 में गृह युद्ध के खात्मे के बाद श्रीलंका में शांति लौटी, लेकिन अब फिर से आतंक की आहट चिंता बढ़ा रही है.
रविवार को श्रीलंका में इतिहास का सबसे भीषण हमला हुआ. इस द्वीपीय देश में 8 सीरियल ब्लास्ट में अब तक 290 लोगों की मौत हो चुकी है. मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इधर श्रीलंकाई पुलिस ने अब तक 24 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इस हमले को लेकर पहले से अलर्ट था.
पिछले साल सुर्खियों में आया था संगठन
10 दिन पहले के एक अलर्ट के मुताबिक श्रीलंका को एक विदेशी खुफिया एजेंसी ने सतर्क किया था. इसमें कहा गया था कि कोलंबो में बड़े चर्च और भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाने का प्लान है. इसमें नेशनल तौहीद जमात नाम के एक कट्टरपंथी संगठन का नाम लिया गया था. नेशनल तौहीद जमात पर कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा के प्रचार प्रसार का आरोप लगता रहा है. ये संगठन पिछले साल भी सुर्खियों में आया था जब इस पर श्रीलंका में बौद्ध मूर्तियां तोड़ने का आरोप लगा था.
9/11 और 26/11 के बाद तीसरा बड़ा हमला
पूरी दुनिया में पिछले 20 सालों में ऐसा भीषण हमला सिर्फ दो बार ही देखने को मिला है. पहला अमेरिका में 11 सितंबर 2001 जिसमें 3 हजार नागरिकों की मौत हुई थी या फिर भारत में 26/11, जिसमें 165 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. श्रीलंका में भी आतंकवादियों ने जिस तरह का खूनी खेल खेला है, वो ना सिर्फ इसी पैमाने का आतंकी हमला है, जिस पैमाने पर 9/11 और 26/11 का हमला था, बल्कि ये हमारे सामने आतंकवादियों के खूनी मंसूबों की नई चुनौती भी है.
10 साल की शांति के बाद आतंक की खूनी वापसी
श्रीलंका का आतंकी हमला तो बेचैन कर देना वाला है क्योंकि श्रीलंका में 10 साल की शांति के बाद आतंक की खूनी वापसी हुई है. श्रीलंका एक ऐसा देश है, जिसने 30 साल तक गृह युद्ध और आतंकवाद झेला है. 2009 में गृह युद्ध के खात्मे के बाद श्रीलंका में शांति लौटी, लेकिन अब फिर से आतंक की आहट चिंता बढ़ा रही है.
इन 8 जगहों पर हुए धमाके
रविवार को ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए ईस्टर का पवित्र दिन था. आतंकवादियों ने कत्लेआम के लिए इसी दिन को चुना. उन्होंने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बड़े चर्चों पर टारगेट किया. पहला ब्लास्ट सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर राजधानी कोलंबो के कैथोलिक चर्च सेंट एंथनी में हुआ. दूसरा ब्लास्ट कोलंबो के बाहरी इलाके के नेगोंबो में सेंट सबैस्टियन चर्च में हुआ. इसी के तुरंत बाद कोलंबो से करीब 300 किलोमीटर दूर बैटीक्लो शहर में तीसरे चर्च में ब्लास्ट की ख़बर आई. इसके बाद कोलंबो के तीन फाइव स्टार होटल में धमाके हुए, जिसमें शंगरीला, सिनैमॉन ग्रैंड और किंग्सबरी शामिल थे. बाद में दो और ब्लास्ट हुए, जिनमें कोलंबो के नेशनल ज़ू के पास के एक होटल और दूसरा ब्लास्ट डमेटोगोड़ा के एक घर में हुआ.
छापेमारी में 3 अफसरों की मौत
श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक 8 में से कम से कम 2 जगहों पर हमलों में आत्मघाती हमलावर शामिल थे. बाद में श्रीलंका सरकार ने कन्फर्म किया कि ज़्यादातर हमलों में आत्मघाती हमलावर शामिल थे. ये भी बताया गया कि ये हमला एक ही संगठन के लोगों ने सुनियोजित साज़िश के तहत अंज़ाम दिया. श्रीलंका पुलिस ने कोलंबो के एक घर में छापा मार कर 7 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया. बताया गया कि इस छापेमारी में और संदिग्धों को पकड़ने में श्रीलंका पुलिस के 3 अफसर मारे गए. पुलिस का कहना है कि वो पक्के तौर पर अभी ये नहीं कह सकते कि इस हमले के पीछे कौन लोग हैं?
10 दिन पहले मिला था अलर्ट
आज से 10 दिन पहले ही श्रीलंका पुलिस ने ऐसे किसी आतंकी हमले का अलर्ट जारी किया था, जिसमें ये कहा गया था कि इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों का श्रीलंका के बड़े चर्चों पर हमला करने का प्लान है.
70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म को मानने वाली
करीब दो करोड़ आबादी वाले श्रीलंका में बौद्ध धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं. इस द्वीपीय देश में 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म को मानने वाली है. इसके अलावा करीब 12 फीसदी हिंदू, 10 फीसदी आबादी मुस्लिम और करीब साढ़े सात फीसदी आबादी ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की है.
अब तक किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
श्रीलंका ने सिंघली और तमिल संघर्ष को भी देखा है. हाल के दिनों में बौद्ध और मुस्लिम समुदाय के बीच टकराव को भी देखा है, लेकिन ईसाई समुदाय को निशाना बनाने के पीछे कौन सी सोच है, कौन गुनहगार है, ये बड़ा सवाल है. अभी तक किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है. ना ही श्रीलंकाई सरकार या पुलिस ने पक्के तौर पर ये बताया है कि कौन से संगठन पर शक की सुई घूम रही है.