Edited By: Dhanesh Diwakar
ग्राउंड और सरफेस वाटर के बेहतर प्रबंधन के लिए राज्य सरकार समग्र जल विधेयक लाने जा रही है। इसमें पेयजल, सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी की मात्रा तय की जाएगी तो पानी की बर्बादी रोकने के लिए सजा का प्रावधान किया जाएगा। विधेयक के लिए सरकार मसौदा तैयार करने में जुटी है। इसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
राज्य में फिलहाल 1932 के कानून के आधार पर जल प्रबंधन किया जाता है। यही वजह है कि अलग-अलग उपयोग के लिए पानी की मात्रा या गुणवत्ता तय नहीं है। हालत यह है कि बरसों पुराने कानून को नहीं बदलने के कारण कोई रेग्युलेटरी अथाॅरिटी भी नहीं बनाई गई है। यही वजह है कि उद्योगों के बोर खनन के लिए आज भी केंद्रीय भूजल बोर्ड से मंजूरी लेनी पड़ती है।
नया विधेयक पारित होने पर एक रेग्युलेटरी अथाॅरिटी भी बनाई जाएगी, जिसका हस्तक्षेप और सीधा नियंत्रण होगा। पानी के बेहतर उपयोग के साथ-साथ भविष्य में आने वाले संकट को ध्यान में रखकर प्लानिंग की जाएगी, वहीं पानी की बर्बादी रोकने के लिए भी कानून बनाया जाएगा।
राज्य में सिंचित क्षेत्र को दोगुना करने का लक्ष्य
राज्य सरकार ने सिंचित जमीन के रकबे को पांच साल में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। छोटे और मध्यम परियोजनाओं के जरिए सरकार इस लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। जल विधेयक में सिंचाई को लेकर भी इस लिहाज से फोकस किया जा रहा है। जल विधेयक में नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी को ध्यान में रखकर भी प्रावधान किए जाएंगे। फिलहाल राज्य की करीब 37 प्रतिशत जमीन सिंचित है।