हिन्दू वर्ष की पहली पूर्णिमा
चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। इसका एक नाम चैती पूनम भी बताया जाता है। चैत्र मास हिन्दू वर्ष का प्रथम माह होता है इसलिए चैत्र पूर्णिमा के भी साल की पहली पूर्णिमा होने के कारण विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भक्त भगवान सत्य नारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिये उपवास रखते हैं। चैत्र पूर्णिमा पर रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है। उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदीयों, तीर्थत्थलों, सरोवर और पवित्र जलकुंड में स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
चैत्र पूर्णिमा के अनुष्ठान क्या हैं?
- चैत्र पूर्णिमा के दिन किया जाने वाला पहला और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान सूर्योदय से पहले जल्दी जागना और पवित्र नदी में पवित्र स्नान करना है
- पवित्र डुबकी लगाने के बाद, भक्तों को भगवान विष्णु और भगवान हनुमान की पूजा और प्रार्थना करने की आवश्यकता होती है।
- भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और ‘सत्यनारायण’ का व्रत रखते हैं। उन्हें ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ करना और पवित्र भोजन बनाना आवश्यक है जो देवता को चढ़ाया जाता है। सत्यनारायण पूजा की जाती है जिसमे फल, सुपारी, केले के पत्ते, मोली, अगरबत्ती, और चंदन का लेप भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है और विभिन्न मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं।
शाम को अनुष्ठान के एक भाग के रूप में चंद्रमा भगवान को ‘अर्घ्य’ देने की धार्मिक प्रथा निभाई जाती है। - इस दिन प्रदर्शन करने के लिए भगवद् गीता और रामायण के पाठ करने को महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
- लोग चैत्र पूर्णिमा के इस विशेष दिन पर कई दान और पुण्य के कार्य करते हैं जहां जरूरतमंद लोगों को ‘अन्न दान’ के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में भोजन, कपड़े, पैसे और अन्य आवश्यक चीजें प्रदान की जाती हैं।
चैत्र पूर्णिमा का क्या महत्व है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा को हिंदू नव वर्ष के प्रारम्भ के पश्चात पहली पूर्णिमा माना जाता है। इस विशेष दिन पर, विभिन्न स्थानों पर, लोग हनुमान जयंती भी मनाते हैं, जो भगवान हनुमान का जन्मदिवस है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जो लोग चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान विष्णु और भगवान चंद्रमा की पूजा करते हैं, उन्हें देवता के दिव्य आशीर्वाद से सम्मानित किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति अपने सभी वर्तमान और पिछले पापों से मुक्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि, चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भक्ति के साथ पूजा करने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
चैत्र पूर्णिमा व्रत विधान क्या है?
- इस दिन, लोग पवित्र नदियों के तट पर सुबह-सुबह पवित्र स्नान करते हैं|
- इसके बाद, वे स्वयं भोजन करने और पानी पीने से परहेज करके चैत्र पूर्णिमा व्रत का पालन करते हैं।
- फिर वे विष्णु पूजा या तो मंदिरों में या अपने घरों में करते हैं।
- विष्णु पूजा पूरी होने के बाद, भक्त सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं।
- वे लगातार ‘गायत्री मंत्र ’या ‘ओम नमो नारायण’ मंत्र का 108 बार जप करते हैं।
- व्यक्ति फिर जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े देते हैं।
- चैत्र पूर्णिमा 2019 तिथि व मुहूर्त
चैत्र पूर्णिमा का उपवास वर्ष 2019 में 19 अप्रैल को है।
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 19:26 बजे (18 अप्रैल 2019)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 16:41 बजे (19 अप्रैल 2019