प्याज की महंगाई ने राज्य सरकारों के भी आंसू निकाल दिए हैं। सप्लाई की किल्लत के चलते जहां सरकारी वेंड्स और वैन में सस्ते प्याज की बिक्री बंद हो गई है, वहीं रीटेल में इसके दाम एक बार फिर आसमान छूने लगे हैं। इस बीच फूड ऐंड कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर रामविलास पासवान ने यह बताने में असमर्थता जताई कि प्याज के दाम कब तक सामान्य होंगे। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे हाथ में नहीं है। सरकार अधिकतम प्रयास कर रही है,
प्याज की किफायती बिक्री हुई बंद
खुदरा दुकानों पर पिछले हफ्ते 60-70 रुपये किलो मिलता आ रहा प्याज अब 80-90 रुपये तक जा पहुंचा है। 30 रुपये किलो की दर से सरकारी किफायती प्याज की बिक्री बंद होने से भी इस तेजी को बल मिला है। जब तक नई फसल नहीं आती, कीमतों में गिरावट की उम्मीद नहीं है। उन्होंने बताया कि 15 दिसंबर के बाद से नई फसल आनी शुरू हो जाएगी।
कई राज्यों में बिक रहा 100 रुपये किलो प्याज
दूसरी ओर महाराष्ट्र की मंडियों में ही प्याज की सप्लाई का संकट बड़ा होता जा रहा है। पुणे से मिली रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को राज्य की कई मंडियों में थोक रेट 70 रुपये के ऊपर चला गया, जबकि रीटेल कीमतें 110 रुपये किलो तक दर्ज की गईं। सोलापुर, संगमनेर और वासी में इस हफ्ते प्याज की औसत थोक कीमतें 75 रुपये किलो दर्ज की गई हैं।
6090 टन प्याज होगा आयात
केंद्र सरकार ने 6090 टन प्याज आयात करने का फैसला किया है, लेकिन ट्रेडर्स को उम्मीद नहीं है कि इससे कीमतों पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। नई फसल की पीक सप्लाई फरवरी में होगी। अगर मौसम ठीक रहा तो तब जाकर कीमतें सामान्य हो सकती हैं। हालांकि थोक के मुकाबले रीटेल कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई जा रही है। खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए एपीएमसी अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए हैं।