Edited By : Dhanesh Diwakar
मोदी सरकार अगले 5 वर्षों में 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करना चाहती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सालाना 8 से 10 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ जरूरी है। लेकिन जब से 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का नारा दिया है, तभी से आर्थिक मोर्चे पर सरकार को एक के बाद एक तगड़े झटके लग रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि फिर लक्ष्य कैसे हासिल होगा? वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार हमलावर है।
15 अक्टूबर को पांचवां झटका
भारतीय अर्थव्यवस्था को ताजा झटका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दिया है। IMF ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर का अपना अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। इससे पहले आईएमएफ ने जुलाई में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रह सकती है।
13 अक्टूबर को चौथा झटका
आर्थिक मंदी के बीच विश्व बैंक ने भी विकास दर का अनुमान घटाकर भारत को झटका दिया है। विश्व बैंक ने भारत की ग्रोथ रेट घटाकर 6 फीसदी कर दी है। साल 2018-19 में भारत की ग्रोथ रेट 6.9 फीसदी रही थी। विश्व बैंक ने कहा है कि लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार गिरी है। 2017-18 में यह 7.2 फीसदी थी।
10 अक्टूबर को तीसरा झटका
मोदी सरकार साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने पर जोर दे रही है। वहीं देश समेत दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा रही हैं। 10 अक्टूबर को मूडीज ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ग्रोथ रेट अनुमान घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया है। पहले इसका जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.2 फीसदी था। इस लिहाज से मूडीज ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान में 0.4 फीसदी की कटौती की है।
4 अक्टूबर को दूसरा झटका
इसी महीने की 4 तारीख को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। वहीं वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पांच ट्रिलियन यानी 50 खरब इकोनॉमी बनने की कवायद को झटका लग सकता है।
25 सितंबर को पहला झटका
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी पिछले महीने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के विकास अनुमान में भारी कटौती करते हुए 6.5 फीसदी कर दिया था। एडीबी ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत किया। हालांकि, उसने संकेत दिया है कि भारत की वृद्धि दर चीन के मुकाबले अधिक बनी रहेगी