रेलवे में कर्मचारियों की संख्या कम करने तथा नॉन-कोर गतिविधियों को आउटसोर्स करने का आधार 2016 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तैयार किया था। निगमीकरण एवं निजीकरण की प्रक्रिया के तहत रेल मंत्रालय ने विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की आवश्यकता का नए सिरे से आकलन कर नॉन-कोर गतिविधियों को आउटसोर्स करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
रेलवे कर्मचारियों के लिए नए मानदंड
इसके लिए रेलवे बोर्ड की ओर से विभिन्न कार्यो के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के नए मानदंड निर्धारित किए गए हैं। महाप्रबंधकों से कहा गया है कि वे नए मानदंडों के मुताबिक हर विभाग में विभिन्न कार्यो के लिए आवश्यक कर्मचारियों की संख्या का नए सिरे से आकलन कर इस बात का पता लगाएं कि कहां कितने कार्यो को आउटसोर्स किया जा सकता है। ताकि रेलवे को फालतू सरकारी कर्मचारियों को बोझ से मुक्त कर वेतन और अन्य खर्चो में कमी की जा सके। ताजा मुहिम रेलवे में मार्च, 2020 तक 55 वर्ष से अधिक उम्र अथवा 30 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अक्षम कर्मचारियों और अधिकारियों को रिटायर करने के 27 जुलाई के पिछले आदेश के कार्यान्वयन के बीच में शुरू हुई है।
3 लाख रेलवे कर्मचारियों की होगी छंटनी
सरकार की ओर से लोकसभा में जवाब दिया गया था कि रेलवे में 13 लाख कर्मचारी हैं। और सरकार इनकी संख्या को घटाकर 10 लाख करना चाहती है। इसके लिए 2014 से 2019 के बीच ग्रुप ए तथा ग्रुप बी के 1.19 लाख अधिकारियों के कामकाज, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, हाजिरी तथा समयपालन की समीक्षा की गई है। रेलवे में कर्मचारियों की संख्या कम करने तथा नॉन-कोर गतिविधियों को आउटसोर्स करने का आधार उसी दिन तैयार हो गया था जब 2016 में रेल बजट को खत्म कर इसे आम बजट का हिस्सा बना दिया गया था। तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था कि ‘रेलवे का मुख्य कार्य ट्रेनें चलाना है। जो चीजें इस मुख्य गतिविधि का प्रत्यक्ष हिस्सा नहीं हैं उन्हें आउटसोर्स किया जा सकता है। दुनिया भर में यही चलन है।’
रेलवे के कार्य अनुबंध पर निजी कंपनियों को सौंप दिए जाएंगे
आवश्यक है कि वे कार्य अनुबंध पर निजी कंपनियों को सौंप दिया जाएं जिनका सीधा संबंध ट्रेन आपरेशन से नहीं है। इंजन, वैगन और डिब्बों का निर्माण, पार्सल, स्टेशनों, कालोनियों, अस्पतालों तथा स्कूलों का प्रबंधन एवं रखरखाव जैसे अनेक कार्य इसी श्रेणी में आते हैं