अंकों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। अंक विज्ञान ज्योतिष की ही एक शाखा है। आजकल बड़े-बड़े फिल्मी सितारें, बड़ी सफल हस्तियां भी अंक विज्ञान के प्रभाव से अछूती नहीं है। अंकज्योतिष अंकों के आधार पर मनुष्य के भविष्य का आंकलन करता है। अंकज्योतिष एक नंबर या एक से अधिक नंबरों पर आधारित संगम घटनाओं के बीच के रहस्यमय संबंधों के बारे में बताता है। यह शब्द, नाम और विचारों के संख्यात्मक मूल्य का अध्ययन है। अंकशास्त्र विद्या में अंकों का विशेष स्थान होता है और हर व्यक्ति का एक अंक मुख्य अंक होता है जिसे अंक स्वामी बोलते हैं और इसी अंक स्वामी के द्वारा आपके भाग्य का आंकलन किया जाता है।
अंक ज्योतिष और ज्योतिष
ज्योतिष में मूल रूप से तीन तत्व हैं- ग्रह, राशि और नक्षत्र। ग्रह 9, राशियां 12 और नक्षत्र 27 होते हैं। अंक 1 से 9 तक होते हैं। नौ अंकों का संबंध 9 ग्रहों 12 राशियों और 27 नक्षत्रों के साथ जोड़कर भविष्यफल बताया जाता है। यदि कम प्रयास से अधिक गणना करनी हो या शुभ और अशुभ समय अर्थात शुभ वार, तिथि, मास, वर्ष, आयु, लग्न आदि जानना हो तो अंक शास्त्र का प्रयोग किया जाता है।
मूलांक
अंक ज्योतिष के अनुसार जन्म तारीख के कुल योग को मूलांक कहते है। जैसे अगर किसी व्यक्ति का जन्म 03-2-1990 को हुआ है तो उसका मूलांक होगा 0 +3 =3
भाग्यांक
आपके जन्म की तारीख, महीने और साल के कुल योग को भाग्यांक कहते है। जैसे अगर किसी व्यक्ति का जन्म 03-2-1990 को हुआ है तो उसका भाग्यांक होगा 0 +3 +2 +1 +9 + 9 +0 =24 =2 +4 = 6
सौभाग्य अंक
हर व्यक्ति का एक और अंक होता है जिसे सौभाग्य अंक कहते हैं। यह नम्बर परिवर्तनशील है। व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक को सौभाग्य अंक कहा जाता है,
जैसे कि मान लो किसी व्यक्ति का नाम AMAN है, तो उसका सौभाग्य अंक A=1, M=4, A=1, N=5 = 1+4+1+5 =11 =1+1 = 2 होगा।
यदि किसी व्यक्ति का सौभाग्य अंक उसके अनुकूल नहीं है तो उसके नाम के अंको में घटा जोड़ करके सौभाग्य अंक को परिवर्तित किया जा सकता है जिससे कि सौभाग्य अंक उस व्यक्ति के अनुकूल हो सके। सौभाग्य अंक का सीधा सम्बन्ध मूलांक से होता है। व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक प्रभाव मूलांक का होता है। चूंकि मूलांक स्थिर अंक होता है तो वह व्यक्ति के वास्तविक स्वभाव को दर्शाता है तथा मूलांक का तालमेल ही सौभाग्य अंक से बनाया जाता है। अंक ज्योतिष के आधार पर किसी व्यक्ति का भविष्य किस तरह ज्ञात किया जा सकता है।
राशि क्रम संख्या
• मेष 1
• वृष 2
• मिथुन 3
• कर्क 4
• सिंह 5
• कन्या 6
• तुला 7
• वृश्चिक 8
• धनु 9
चूंकि 1 से 9 तक के अंक के बाद के अंक ज्योतिष में पुनरावृत्ति होती है,अतः हम 9 के बाद के वाले अंक को पुनः उसी क्रम में रखेंगे-
• मकर 10 = 1+0 = 1
• कुंभ 11 = 1+1 = 2
• मीन 12 = 1+2 =3
इस प्रकार हम राशि के स्वामी का शुभ सहयोगी अर्थात सहानुभूति अंक प्राप्त कर सकते हैं।
राशि क्रम राशियां और उनके स्वामी
• 1, 8 मेष, वृश्चिक – मंगल
• 2, 7 वृष, तुला – शुक्र
• 3, 6 मिथुन, कन्या – बुध
• 4 कर्क – चन्द्र
• 5 सिंह – सूर्य
• 9, 3 धनु, मीन – गुरु
• 1, 2 मकर, कुंभ – शनि
चन्द्र व सूर्य मात्र एक-एक राशि के ही स्वामी हैं अतः इन्हें एकराशि स्वामी भी कहा जाता है। शेष को द्विराशि स्वामी कहा जाता है।
स्वामी अंक
• मंगल 9
• शुक्र 6
• बुध 5
नोट = राहु 4 तथा केतु 7 को हम क्रमशः सूर्य व चन्द्र के अंतर्गत रख सकते हैं।
• चन्द्र 2 – केतु 7
• सूर्य 1 – राहु 4
• गुरु 3
• शनि 8
इस प्रकार हम राशि क्रमों के योग से शुभ सहयोगी अंक प्राप्त कर सकते है।
राशियां क्रम सहयोगी अथवा शुभ अंक
• मेष+वृश्चिक 1 + 8 = 9
• वृष +तुला 2 + 7 = 9
• मिथुन+कन्या 3 + 6 = 9
• कर्क 4 = 4
• सिंह 5 = 5
• धनु+ मीन 9+3 = 12= 1+2 =3
• मकर+कुंभ 1+2 = 3
अतः स्पष्ट है कि मेष+वृश्चिक(1+8 = 9 योग) के स्वामी मंगल का अंक 9 है तथा दोनों राशियों के क्रम का योग भी 9 आ रहा है, अतः इस प्रकार दोनों राशि नामों का शुभ अंक 9 हुआ।
शुभ अंक निकालने की विधि-
शुभांक = (मूलांक +भाग्यांक + नामांक + स्तूपांक)
उदाहरणार्थ- यहां हम किसी व्यक्ति जिसका नाम अमन है उसका शुभांक निकालते हैं। मान लीजिए अमन का जन्म 1-2-1930 को हुआ। अतः
अमन का जन्म 1-2-1930 को हुआ था। अतः
मूलांक = 01 = 0 +1 = 1
अतः जन्मतिथि का मूलांक 2 हुआ।
अब भाग्यांक निकालने के लिए जन्मतिथि सहित माह एवं सन् सबको जोड़ लिया जाएगा।
जैसे भाग्यांक = 1-2-1930
0+1+2+1+9+3+0
= 16 = 1+6 = 7
अतः इनका भाग्यांक 7 और मूलांक 2 हैं।