नारायणपुर के कड़ेनार कैंप में तैनात आईटीबीपी के 45वीं बटालियन के एक जवान ने अपने साथी जवानों पर गोलियां बरसाई साथी जवानों ने भी अपने बचाव में गोलियां चलाई और कैंप के एक बैरक के अंदर ही एक साथ छह लाशें बिछ गईं। बुधवार को हुए इस गोलीकांड ने पूरे इलाके समेत देश को हिला दिया है। भास्कर ने जब इस मामले में पड़ताल शुरू की तो पता चला कि कैंप में स्थिति सामान्य नहीं थी। कैंप के अंदर पिछले कुछ दिनों से अफसरों और एक जवान के बीच छुट्टी को लेकर विवाद चल रहा था। छुट्टी के इसी विवाद ने बुधवार को खूनी रूप लिया और छह जवानों की मौत हो गई।
इधर, कड़ेनार कैंप में गोलीबारी की घटना से पहले भी बस्तर में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार ने बस्तर के सभी थाना, कैंपों में तैनात जवानों पर नजर रखने की जानकारी थाना प्रभारी, कैंप प्रभारी को दी है। इस नये निर्देश के तहत कैंपों, थानों के अंदर प्रभारियों को ही एक-एक जवान की दिनचर्या और मनोस्थिति को जानना था लेकिन कैंपों और थानों में काम के दबाव के चलते मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है।
इधर आईजी पी सुंदराराज ने भी बताया कि जवान मसुदुल छुट्टी के समय को लेकर परेशान था। उसने सालभर से कोई छुट्टी नहीं ली थी। इसी बात को लेकर विवाद की शुरूआत हुई थी। उन्होंने कहा कि अभी मामले की जांच पुलिस कर रही है। जांच के बाद ही सारे तथ्य सामने आ पायेंगे।
बताया जा रहा है कि मसुदुल अंत तक छुट्टी लेने को तैयार नहीं था वह अफसरों से निवेदन कर रहा था कि उसे अपने तय समय पर छुट्टी दी जाये। इसके बाद जब बात नहीं बनी तो उसने अपनी सर्विस रायफल अफसरों के पास जमा करवा दी और अपने बैरक में लौट आया। यहां अाकर वह अपना बैग पैक करने लगा। इसी दौरान बैरक में दूसरे जवान भी मौजूद थे। इसी बीच मसुदुल व अन्य जवानों के बीच कुछ बातचीत हुई और वह आक्रामक हो गया। आक्रामक होते ही उसने पास में पड़ी अपने एक साथी की एके-47 रायफल हाथ में ले ली और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद बैरक में मौजूद दूसरे जवानों ने भी मसुदुल पर गोलियां चलाई और छह लोगों की मौत हो गई और दो जवान घायल हो गए।
जवान मसुदुल मूलत: वेस्ट बंगाल का रहने वाला है। वह पिछले एक साल से कैंप में ही था। उसने एक साल से छुट्टी नहीं ली थी और वह अपनी छुट्टी जमा कर रहा था। मसुदुल ने परिवार के सदस्यों से वादा किया था कि वह दिसंबर के अंत में उनके साथ समय बितायेगा। इसी वादे के हिसाब से परिवार ने कई पारिवारिक कार्यक्रम भी तय किये थे। मसुदुल अपने अफसरों को भी बता चुका था कि वह अपनी छुटि्टयां अपने परिवार के लिए जमा कर रहा है और परिवार के साथ छुट्टी का जो शेडूयल उसने तय किया है उसके हिसाब से वह छुट्टी पर जायेगा। इसी बीच साल के अंत में अफसरों ने जवानों के द्वारा ली गई छुट्टी का हिसाब किताब निकाला और जवानों को छुट्टी काटने के लिए रिलीफ करने की शुरूआत कर दी।
अफसरों ने पहले चरण में मसुदुल व अन्य जवानों की छुट्टी खुद से ही मंजूर कर दी और जवानों को बता दिया कि उन्हें 4 दिसंबर से छुट्टी पर जाना है। यह जानकारी अफसरों ने जवानों को दो दिन पहले ही दे दी थी। चार दिसंबर से छुट्टी की जानकारी मिलते ही मसुदुल ने अफसरों को अभी छुट्टी पर नहीं जाने की बात कही और बताया कि उसने साल भर छुटि्टयां पारिवारिक कामों के लिए जमा की है और यदि अभी वह छुट्टी पर चला जायेगा तो पूरा शेड्यूल खराब हो जायेगा। मसुदुल की बात को अफसरों ने टाल दिया। इसी बीच चार दिसंबर को जब जवानों को कैंप से रिलीफ करने का समय आया तो उसने फायरिंग कर दी।