- अस्थायी मंदिर में विराजमान हुए भगवान रामलला, 27 वर्षों तक टेंट में रहे रामलला
- रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा, कभी-कभी तो टेंट में भगवान को देख रो पड़ता था
- 6 दिसंबर 1992 को रामलला को स्थापित कर दिया गया था, आचार्य सत्येंद्र दास कर रहे हैं सेवा
- आचार्य सत्येंद्र दास बोले- भगवान रामलला टेंट में थे लेकिन आज उनके लिए एसी का भी इंतजाम
अयोध्या
रामायण में एक चौपाई है कि प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कोसलपुर राजा। मतलब कि अयोध्या के राजा का मनन करते हुए या उन्हें हृदय में रखकर कोई भी काम किया जाए तो सब संपन्न होता है। अयोध्या के राजा भगवान रामलला को जब-जब उनके भक्त टेंट में विराजमान देखते तो एक टीस सी पैदा हो जाती थी। जेहन में सवाल होता था कि इतने मकानों के बीच टेंट में भगवान रामलला। कई बार तो यह देखकर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दासअपने आंसू नहीं रोक सके लेकिन वह कहते हैं कि सब भगवान की लीला थी। हालांकि, भगवान रामलला को 27 साल तीन महीने और 20 दिन बाद बुधवार को अस्थायी मंदिर में प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुई घटना के बाद भगवान रामलला की उसी वक्त स्थापना कर दी गई थी। अस्थायी मंदिर में भगवान रामलला के प्रवेश के साथ ही उनके मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बहुत खुश हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में सारा कार्य संपन्न हुआ है। भगवान रामलला टेंट में थे लेकिन आज उनके लिए एसी का भी इंतजाम किया गया है।
‘…क्योंकि आज ऐतिहासिक दिन है’
उत्तराखंड वॉर मेमोरियल के चेयरमैन तरुण विजय लिखते हैं, ‘बाबर ने रामजन्मभूमि मंदिर को खंडित कर दिया था। इसके 500 वर्षों बाद (1528-2020) आज हिंदू नव वर्ष पर भारत ने उचित पूजा स्थान में भगवान श्री राम विग्रह की पूजा अर्चना देखी है। भव्य राम मंदिर बन जाने तक रामलला यहीं रहेंगे। यह वाकई एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद और प्रणाम।’