शास्त्रों में माघ पूर्णिमा का बड़ा महत्व बताया गया है। सनातन संस्कृति के शास्त्रों में इसका काफी महिमामंडन किया गया है। माध मास के स्नान से पापों का क्षमण और पुण्य की प्राप्ति होती है। साक्षात जल ने कहा है कि जो सूयार्दय होते ही माघ मास में मुझमें स्नान करता है, उसके बड़े से बड़े पाप मैं तत्काल नष्ट कर उसको शुद्ध और पवित्र कर देता हूं। इसी तरह माघ मास की पूर्णिमा को पवित्र नदी और सरोवरों के तट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। मान्यता है कि माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान श्रीहरी की कृपा बनी रहती है और सुख-सौभाग्य के साथ धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस साल माघ पूर्णिमा 8 फरवरी से प्रारंभ होकर 9 फरवरी दोपहर तक रहेगी।
माघ पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
प्रारंभ – 8 फरवरी को 4 बजकर 3 मिनट से प्रारंभ
समापन – 9 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 4 मिनट पर समापन
माघ पूर्णिमा की पूजा विधि
माघ मास की पूर्णिमा को स्नान, दान और पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इस दिन श्रीहरी का पूजन किया जाता है। इसके लिए सूर्योदय से पूर्व उठ जाएं और नित्यकर्म से निवृत्त होकर पवित्र नदी, सरोवर या घर में स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। सूर्य के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य को अर्ध्य दें। एक पाट पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और मूर्ति हो तो उसको स्नान करवाने के बाद कुमकुम, हल्दी, मेंहदी, अबीर, गुलाल, फल, पंचामृत, पंचमेवा, मिष्ठान्न, मौली, केले के पत्ते, तिल, सुपारी, पान, दूर्वा आदि से पूजा करें। तुलसी दल समर्पित करें। इसके बाद ब्राह्मणों, गरीबों और असहायों को दान दें। माघ मास की पूर्णिमा को तिल और काले तिल का विशेष रूप से दान किया जाता है।
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं मानव रूप धारण कर प्रयागतीर्थ में पधारते हैं और संगम में स्नान कर दान- पुण्य करते हैं।