दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच संबंधों की तल्खी के बीच प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान में कमी आई है. प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला अनुदान 700 करोड़ रुपये कम किए जाने के बावजूद दिल्ली सरकार का अपना टैक्स रेवेन्यू और नॉन टैक्स रेवेन्यू बढ़ा है. दिल्ली सरकार की कमाई बढ़ गई है.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार की कमाई बढ़ी ही है, खर्च में भी लगभग 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कई अन्य बिंदुओं का भी उल्लेख किया है. कैग ने दिल्ली सरकार के खर्च पर सवाल भी उठाए हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 के 49202.08 करोड़ के मुकाबले इस वर्ष 41159.42 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने खर्च किया. इस तरह सरकार को 8042.66 करोड़ रुपये राजस्व की बचत हुई.
बगैर खर्च वापस लौटे 1250 करोड़
कैग की इस रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर भी कई बातें कही गई हैं. मसलन 49200 करोड़ रुपये में से लगभग 8000 करोड़ रुपये सरकार खर्च नहीं कर पाई. इसके अलावा तकरीबन 25 मदों में से 1250 करोड़ रुपये बिना खर्च किए हुए वापस लौट गए. इनमें से 3 मदों में तो एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ. उसके अलावा कैग ने यह भी सवाल उठाए हैं कि कई सारे विभागों ने पैसा या तो आखिरी क्वार्टर में खर्च किया या फिर कुछ ने हड़बड़ी में मार्च के महीने में.
बता दें कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच तनातनी चलती रही है. मुख्यमंत्री केजरीवाल चुनावी साल में नरम रुख अख्तियार करने से पहले केंद्र सरकार पर हमलावर थे. उपराज्यपाल के साथ भी सरकार की तनातनी जगजाहिर रहा है. हालांकि विधानसभा चुनाव करीब आते देख केजरीवाल ने रुख में बदलाव किया और मोदी सरकार 2.0 के साथ दिल्ली के विकास के लिए मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी.