- राजधानी रायपुर में 125 से ज्यादा हुक्काबार अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं
- अंग्रेजी शराब की 49 दुकानों पर भी लगेगा ताला लगेगा
रायपुर
प्रदेश के युवाओं को नशे की गिरफ्त से दूर करने आैर अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश मंे अवैध तरीके से चलाए जा रहे सभी हुक्काबारों को अभियान चलाकर कड़ाई से बंद कराया जाएगा। अब तक प्रदेश में हुक्काबारों के लिए कोई नियम नहीं था इसकी वजह से प्रदेश के बड़े होटलों आैर मॉल में धड़ल्ले से यह कारोबार चल रहा था। पुलिस आैर प्रशासन शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं कर पाते थे। लेकिन अब सरकार के कड़े फैसले के बाद एेसे हुक्काबारों को बंद किया जा सकेगा।
राजधानी रायपुर में 125 से ज्यादा हुक्काबार अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं, जहां देर रात तक युवक-युवतियां रोज कश मारते नजर आते थे। होटल आैर मॉल में संचालित इन हुक्काबार के संचालक भी कठोर नियम के अभाव में बेरोक-टोक कारोबार करते थे। केवल गुमाश्ता लाइसेंस लेकर ही ये दुकानें चलाई जा रही थीं। हुक्काबारों को बंद करने के िलए हर शहर से लगातार आवाज उठ रही थी। प्रदेश सरकार सीमाई जिलों में अवैध शराब और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए जांच चौकी खोलेगी।
पिछले साल सरकार ने बंद की थीं 50 दुकानें
प्रदेश में नशे के खिलाफ सरकार ने दूसरा बड़ा फैसला लेते हुए 49 अंग्रेजी शराब दुकानों को बंद करने का फैसला लिया है। पिछले साल सरकार ने 50 दुकानें बंद की थी। वर्तमान में प्रदेश में 337 देशी आैर 311 विदेशी शराब दुकानें हैं। शराब दुकानों को बंद करने के इस फैसले को सरकार को शराबबंदी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। अब नए फैसलों के तहत अब देशी आैर विदेशी शराब एक साथ बेची जा सकेगी।
रायपुर एसएसपी ने लिखा था पत्र, मानसून सत्र में भी उठा था मुद्दा
हुक्काबार बंद करने के लिए रायपुर एसएसपी आरिफ शेख ने सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने हुक्काबार की आड़ में चल रहे नशे के खेल और कानूनी अड़चनों का भी उल्लेख किया था। इसके अलावा मानसून सत्र में भी यह मुद्दा उठा था। बिलासपुर के विधायक शैलेष पांडेय ने सदन में कहा था कि हुक्का बार के कारण युवा पीढ़ी नशे के गर्त में जा रही है। फूड लाइसेंस लेकर कैफे खोले जा रहे हैं, जहां चरस, गांजा, कोकीन मिलाकर परोसा जाता है। इस मुद्दे पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सदन में ही घोषणा की थी कि हुक्का बार के खिलाफ कानून बनाएंगे। इसके बाद शासन ने यह बड़ा फैसला किया है।
जहां परिवार के लोग जा रहे, वहां भी हुक्का पिला रहे संचालक
हुक्काबार के संचालन के लिए कोई कानून नहीं होने के कारण ऐसे होटल व कैफे में भी हुक्का पिलाए जा रहे थे, जहां परिवार के लोग पत्नी-बच्चों के साथ खाना खाने जाते हैं। नगर निगम से गुमाश्ता और फूड लाइसेंस लेकर हुक्काबार शुरू किए जाते हैं। राजधानी में ही ऐसे दर्जनों स्थान हैं, जहां स्कूल ड्रेस में बच्चे हुक्का पीने पहुंचते हैं। पुलिस कई बार छापेमारी करती है, लेकिन सख्ती नहीं हो पाती। यही वजह है कि हुक्काबारों पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा था। सरकार के फैसले के बाद अब पुलिस सख्ती से कार्रवाई कर सकेगी। इस फैसले से बड़ी संख्या में परिवारों ने भी राहत की सांस ली है।