पहली छत्तीसगढ़ विधानसभा राजकुमार कॉलेज हॉल में शामियाने में और सचिवालय पेड़ के नीचे

छत्तीसगढ़ विधानसभा अपनी 20 वीं वर्षगांठ मना रही है। पहली विधानसभा की एेसी कई ऐसी घटनाएं हुईं जो अब भी याद की जाती हैं। जब इसका पहला सत्र राजकुमार कालेज के जशपुर हाल में हुआ था। जबकि दूसरा सत्र जीरो पाइंट में राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के विशाल भवन में पहली बार हुआ था। तब एक रोचक प्रयोग किया गया था। हाउस को विदेशों की तर्ज पर पोडियम अरेजमेंट से चलाया गया था।

पहले विधानसभा अध्यक्ष थे राजेंद्र प्रसाद शुक्ल और मुख्यमंत्री थे अजीत जोगी। शुक्ल मध्यप्रदेश विधानसभा के भी स्पीकर रह चुके थे। वे प्रयोग करने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने पोडियम अरेजमेंट के तहत हाउस चलाने का प्रस्ताव जोगी के समक्ष रखा कि क्या हम यह ट्रायल करके देखें। जोगी सहमत हो गए।
पोडियम अरेजमेंट का आशय है कि सदन में यदि किसी विधायक को अपनी बात रखनी है तो उन्हें अपनी जगह से उठकर सदन में एक माइक पर आकर बोलना था। ये प्रयोग 30 सितंबर 2002 को किया गया।

जब एक माइक मुख्यमंत्री के डेस्क की तरफ साइड में और विपक्ष के लिए नेता प्रतिपक्ष की डेस्क की तरफ लगाया गया था। विधायकों ने इसी माइक पर आकर सवाल किया और चर्चा के दौरान अपना पक्ष रखा। ये प्रयोग केवल एक ही दिन चला, क्योंकि पक्ष और विपक्ष दोनों तत्काल अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पा रहे थे। विधानसभा के वर्तमान प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगराडे के मुताबिक यह व्यवस्था तत्कालीन अध्यक्ष के निर्णयानुसार लागू की गई थी वह केवल एक दिन के लिए थी।

राज्य बनने बाद पहला विधानसभा राजकुमार कालेज में लगा था। जशपुर हाल में टेंट लगाकर सदन चलाया गया था। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का यह पहला सत्र था। इस सत्र के लिए कार्यमंत्रणा समिति की पहली बैठक भी पेड़ के ही नीचे हुई थी। तब एक-दो दिन सचिवालय भी पेड़ के ही नीचे लगा था, क्योंकि तब विधानसभा सचिवालय बना नहीं था। छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर बनने से पहले शुक्ल मध्यप्रदेश विधानसभा में दिग्विजय केबिनेट में जीएडी व कुछ बड़े विभागों के मिनिस्टर थे। तिवारी लोकलेखा समिति के अध्यक्ष थे। प्रोटेम स्पीकर बने थे बसना के विधायक महेंद्र बहादुर सिंह। शीतसत्र के बाद बजट सत्र जीरो पाइंट के भवन में आयोजित किया गया।तब से विधानसभा की कार्यवाही वहीं हो रही है। अब नया रायपुर में नया विधानसभा भवन बनाने की तैयारी चल रही है।

ये तस्वीर 14 दिसंबर 2000 की है। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद विधानसभा के लिए राजीव गांधी जलग्रहण मिशन की बिल्डिंग चुन ली गई थी। इसमें कुछ तैयारियां बाकी थीं। इसलिए विधानसभा का पहला सत्र रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज के हॉल में हुआ। सदन बनाने के लिए चारों ओर सफेद रंग के पर्दे लगाए गए।

मप्र से अलग होने के बाद राजकुमार कॉलेज हॉल में शामियाने में पहला विधानसभा सत्र

ये तस्वीर 14 दिसंबर 2000 की है। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद विधानसभा के लिए राजीव गांधी जलग्रहण मिशन की बिल्डिंग चुन ली गई थी। इसमें कुछ तैयारियां बाकी थीं। इसलिए विधानसभा का पहला सत्र रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज के हॉल में हुआ। सदन बनाने के लिए चारों ओर सफेद रंग के पर्दे लगाए गए।अध्यक्ष की आसंदी भी ऐसे ही बनी। इसमें विधानसभा के सदस्यों को शपथ दिलाई गई। उसके बाद दूसरा सत्र 27 फरवरी, 2001 को स्थायी भवन में हुआ। यह भवन रायपुर बलौदा बाजार मार्ग पर ग्राम बरौंदा में विधाननगर में स्थित है।

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