Hyderabad Encounter : सुप्रीम कोर्ट की पुलिस को फटकार, पूछा- क्या मुर्दों पर मुकदमा चलाना चाहते हैं?

  • सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय आयोग को सौंपी हैदराबाद एनकाउंटर की जांच
  • शीर्ष कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाले आयोग से छह महीने में मांगी रिपोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक हाईकोर्ट व मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर लगाई रोक
हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म व हत्या मामले के चारों आरोपियों के एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या पुलिस अब मुर्दों पर मुकदमा चलाने की प्रक्रिया अपनाना चाहती है और इसके बाद चाहती है कि क्या हुआ इस बारे में भी नहीं पूछा जाए?

बहरहाल, मामले में जांच आयोग को छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने अगले आदेश तक एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है।  चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ वकील जीएस मणि व वकील प्रदीप कुमार की संयुक्त याचिका और एडवोकेट एमएल शर्मा यादव की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पीठ ने जांच आयोग की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वीएस सिरपुरकर को सौंपी है, जबकि उनके साथ बांबे हाइकोर्ट की पूर्व जज रेखा बल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डीआर कार्तिकेयन को भी आयोग का सदस्य बनाया गया है। इस दौरान आयोग का दफ्तर हैदराबाद में बनाया जाएगा और आयोग को सीआरपीएफ सुरक्षा दी जाएगी।

पीठ ने मामले की जांच कर रही एसआईटी से भी रिपोर्ट तलब तलब की है। साथ ही पीठ ने इस मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिकाओं पर चल रही सुनवाई और मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।

गौरतलब है कि 27 नवंबर को शम्साबाद इलाके में एक महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर उसे जला दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनकी 6 दिसंबर को घटनास्थल पर सीन रिक्रिएशन के दौरान पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई।

सब को सच जानने का हक

पीठ ने कहा, इस मामले का सच सबके सामने आना चाहिए। एनकाउंटर को लेकर कई तरह के विवादित पक्ष हैं, जिसके लिए जांच आयोग से पूरे मामले की जांच कराने की जरूरत है। इस पर पीठ ने कहा, भले ही एसआईटी मामले की जांच कर रही है, लेकिन इस बात को कैसे प्रमाणित किया जाए कि पुलिस द्वारा चाराें आरोपियों के मारे जाने के मामले में इस तरह की जांच सच्चाई को उजागर करेगी। पीठ ने कहा, हमारा निष्कर्ष है कि एक जांच आयोग के जरिये पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए।

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