- सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय आयोग को सौंपी हैदराबाद एनकाउंटर की जांच
- शीर्ष कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाले आयोग से छह महीने में मांगी रिपोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक हाईकोर्ट व मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर लगाई रोक
बहरहाल, मामले में जांच आयोग को छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने अगले आदेश तक एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ वकील जीएस मणि व वकील प्रदीप कुमार की संयुक्त याचिका और एडवोकेट एमएल शर्मा यादव की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने जांच आयोग की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वीएस सिरपुरकर को सौंपी है, जबकि उनके साथ बांबे हाइकोर्ट की पूर्व जज रेखा बल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डीआर कार्तिकेयन को भी आयोग का सदस्य बनाया गया है। इस दौरान आयोग का दफ्तर हैदराबाद में बनाया जाएगा और आयोग को सीआरपीएफ सुरक्षा दी जाएगी।
पीठ ने मामले की जांच कर रही एसआईटी से भी रिपोर्ट तलब तलब की है। साथ ही पीठ ने इस मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिकाओं पर चल रही सुनवाई और मानवाधिकार आयोग की कार्यवाही पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि 27 नवंबर को शम्साबाद इलाके में एक महिला पशु चिकित्सक की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर उसे जला दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनकी 6 दिसंबर को घटनास्थल पर सीन रिक्रिएशन के दौरान पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई।