- आंकड़ा उन पीड़ितों का है जाे मानवाधिकार आयोग तक पहुंचे, कई मामले दर्ज ही नहीं होते
- समाजों के अन्याय के खिलाफ कानून का ड्रॉफ्ट तैयार, 2 साल से लागू ही नहीं कर पाए
रायपुर
आज अंतरराष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस है और हमारे प्रदेश में आज भी कई कुरीतियां व्याप्त हैं। ये सामाजिक कुरीतियां हर साल सैकड़ों लोगों से अन्याय की वजह बनती है। कोई समाज से बाहर शादी कर ले या घर में किसी की मृत्यु के बाद समाज को भोजन न कराए, आज भी उन्हें सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है। पिछले 13 माह में ही मानवाधिकार आयोग के पास ऐसे 101 मामले आए हैं। ये वो पीड़ित हैं जिनकी गुहार पुलिस और जिला प्रशासन ने नहीं सुनी। तब वे न्याय की आस में वे मानवाधिकार पहुंचे हैं।
ढाई साल पहले ही तैयार कर लिया गया था कानून
सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून का ड्राफ्ट लगभग ढाई साल पहले ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन समाजों की आपत्ति के बाद सरकार ने इसे लागू नहीं किया। सामाजिक बहिष्कार आज भी जारी है। इसे खत्म करने के एवज में जुर्माने का तो प्रावधान है ही। बहुत से समाजों में ऐसी शर्तें भी रख दी जाती हैं जिसे पूरा करना बहिष्कृत व्यक्ति या परिवार के लिए संभव नहीं होता। प्रदेशभर से ऐसे दर्जनों मामले लगभग हर महीने सामने आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पीड़ित सिर्फ गांव के मजदूर या कमजोर लोग हैं, बल्कि शहरों में डॉक्टरों, वकीलों के बहिष्कार की भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जुर्माना पटाने के बाद इनकी समाज में वापसी हुई। जानकारों का दावा है कि सामाजिक बहिष्कार के मामले पहले उंगलियों में गिने जाते थे, लेकिन जैसे-जैसे इसे लेकर जागरूकता फैली है प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है। सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ काम करने वाली समितियों का दावा है कि वे हर महीने केवल गांवों में ही नहीं जाते बल्कि बड़े शहरी आबादी वाली जगहों पर भी जाकर बहिष्कार के मामलों को खत्म करवा रहे हैं।
खुदकुशी की, सुसाइड नोट में लिखा- इसे दंड समझें
जांजगीर-चांपा के कुर्दा गांव में फरवरी 2019 में 22 वर्षीय श्याम (बदला हुआ नाम) ने सामाजिक बहिष्कार के चलते खुदकुशी कर ली थी। सुसाइड नोट में उन्होंने स्थानीय समुदाय से अपील की थी कि वे उसकी मौत को बहिष्कार समाप्त करने के लिए दंड के तौर पर लें। दरअसल, मृत युवक के बड़े भाई संतोष ने दूसरी जाति की लड़की से शादी कर ली थी। इसके बाद संतोष ने खुद को परिवार से अलग कर लिया था, ताकि परिवार का बहिष्कार न हो। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। समुदाय ने परिवार का बहिष्कार कर दिया। इस वजह से ना केवल दूसरे भाई-बहनों की शादी में बाधा आई, बल्कि शादी कराने जो लोन लिया था, उसे चुकाने में भी तकलीफें आ रहीं थीं। क्योंकि समुदाय के आदेश पर उन्हें रोजगार भी नहीं मिल पा रहा था। हार मानकर युवक ने जान दे दी।
शादी की तो बहिष्कार, परिवार से मिलने पर जुर्माना
दीपाली (बदला हुआ नाम) ने जांजगीर चांपा के अतिरिक्त कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत होकर 9 जुलाई 2018 को से शादी की थी। इसके बाद उनके घर में समाज द्वारा बैठक रखी गई। समाज के लोगों को घर बुलाकर विवाह के बारे में बताया गया। 31 अप्रैल, 2019 को महासभा हुई। इसमें दीपाली ने समाज में वापस मिलने के लिए आवेदन किया, लेकिन समाज ने लोगों ने उन्हें बहिष्कृत कर दिया। दुख-सुख में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके चलते वे अपनी नानी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाईं। परिवार ने मिलने की कोशिश की तो उन पर 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। समाज के अध्यक्ष ने उन्हें और उनके परिवार को मारने की धमकी भी दी। उसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी गई।
सरकार देगी ढाई लाख प्रोत्साहन राशि
एक तरफ कई समाज अंतरराज्यीय विवाह पर जुर्माना कर रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार इसे प्रोत्साहित कर रही है। नई सरकार ने छत्तीसगढ़ अस्पृश्यता निवारणार्य अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना नियम 1978 (यथा संशोधित नियम 2019 के अनुसार) अंतर्जातीय विवाह करने वाले दंपत्तियों को 2 लाख 50 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि एवं प्रशंसा पत्र प्रदान करने का फैसला किया है। प्रोत्साहन राशि प्रति दंपत्ति उनसे भुगतान पूर्व 10 रुपए के रसीद नान-ज्युडिशियल के स्टॉप पेपर मिलनेे पर एक लाख दंपत्ति के संयुक्त बैंक खाते में आरटीजीएस अथवा एनईएफटी के माध्यम से जमा होंगे।