प्रदेश में बीते 15 साल में एचआईवी पीड़ित लोगों की संख्या में 76 गुना बढ़ोतरी हुई है। लेकिन एड्स कंट्राेल साेसायटी इसकी जागरुकता व रोकथाम के लिए पूरा बजट भी खर्च नहीं कर पा रही है। आलम ये है कि सोसायटी द्वारा बिना कार्यक्रम किए ही सवा दो लाख रुपए खर्च कर दिए गए, चार कर्मचारियों के बैंक खाते में समान राशि ट्रांसफर भी कर दी गई। दूसरी ओर बिल्हा में जिन दो गांव में एक साथ 37 एचआईवी पॉजिटिव लोग मिले थे उनमें झोलाछाप इलाज कर रहे हैं। आयुर्वेदिक अस्पताल में डेढ़ माह से ताला लटक रहा है। एड्स की रोकथाम को लेकर कितने गंभीर हैं जिम्मेदार जानिए इस रिपोर्ट में…
सीजी सैक के लक्षित हस्तक्षेप परियोजना में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं की ट्रेनिंग के नाम पर बिना कार्यक्रम कराए 2 लाख 25 हजार 200 रुपए निकाले गए। एआरटी सेंटर, ओएसटी सेंटर का संभागीय सम्मेलन कराने के बहाने आहरण हुआ। कार्यक्रम में यात्रा व्यय, होटल स्टे व्यय, भोजन व्यय, स्टेशनरी व्यय व कंटेनजेंसी व्यय के नाम पर खर्चा दर्शाया गया है। खर्च में दर्शाए गए आंकड़े के अनुसार 102 लोगों को 600 रु. के हिसाब से 64 हजार 200 रु. दिया गया। होटल स्टे के नाम पर 84 हजार रु. खर्च किया गया है। 1050 रुपए किराए के हिसाब से 80 लोग होटल में रूके थे। 115 लोगों के भोजन पर 500 रु. थाली के हिसाब से 57 हजार 500 रु. खर्च किए गए। वहीं 115 लोगों को 100-100 रु. का स्टेशनरी सामान दिया गया। इस पर साढ़े 11 हजार खर्च हुए। 8 हजार रु. कंटेनजेंसी व्यय में दिखाए गए हैं।
एचआईवी/एड्स के रोकथाम के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही ढूंढने में भी खानापूर्ति की जा रही है। दुर्ग में अलग-अलग ग्रुप के लिए काम कर रही समाज सेवी संस्थाएं फिल्ड वर्क छोड़ जहां एआरटी के आंकड़े दिखाकर मोटी रकम वसूल रही हैं। वहीं आम जन को एचआईवी के बारे में आसान समझाईश दिए जाने के लिए नुक्कड़ नाटक किए जाने में खानापूर्ति हो रही है। इसका खुलासा दुर्ग-भिलाई शहर के हाईली सेंसेटिव एरिया की पड़ताल करने में हुआ है। इस पड़ताल के लिए भास्कर ने सरकारी रिकार्ड में सेंसेटिव क्षेत्रों के 25 पार्षदों से बात की है। जिसमें 23 पार्षदों ने एचआईवी रोकथाम के लिए किसी एनजीओ के काम से इंकार कर दिया है। यही नहीं एचआईवी पीड़ितों के हक के लिए काम करने वाली संस्था के लोगों ने रोकथाम का काम कर रही संस्थाओं के बारे में दावे से बताया है कि उनका 90 प्रतिशत काम कागजों में होता है। रोकथाम के लिए नुक्कड़ नाटक होने के बारे में सिर्फ छावनी और सुपेला पार्षद ने बताया है। इसके विपरीत सरकारी रिकार्ड में 23 स्थानों पर नुक्कड़ नाटक होने के बारे में बताया जा रहा है।
प्रभारी एआरटी डॉ एसके मंडल ने बताया कि एचआईवी के रोकथाम के लिए हम लोग काम कर रहे हैं। उसी की देन है कि आंकड़ा बढ़ रहा है। 6 संस्थाएं भी अलग-अलग लोगों को टारगेट कर हमारी मदद कर रही है। नुक्कड़ नाटक व अन्य कार्यक्रमों के जरिए एचआईवी एड्स के बारे में बताया जा रहा है।