सोमानी की आंख पर पट्‌टी बांधकर रखते थे किडनैपर्स, छोड़तेे समय एटीएम कार्ड जेब में रख कहा- बस से चले जाना

  • कारोबारी प्रवीण सोमानी ने बताया- 14 दिन उनकी आंखों पर पट्‌टी बंधी रही, सिर्फ खाना देते समय इसे खोला जाता था
  • उन्होंने बताया- किडनैपर्स कहने लगे थे, अगर हमने तुम्हें छोड़ दिया तो पुलिस से कहना हमारे परिवार वालों को परेशान न करें

रायपुर.

किडनैपर्स ने कितने दिन अपने साथ रखा कुछ याद नहीं। उस दिन जब फैक्ट्री से निकला, तब 8 जनवरी थी, बस उतना ही याद था। जब तक उनके कब्जे में रहा कब सुबह होती और कब रात, पता नहीं चला। ब्रश करने बोलते तब अहसास होता कि दिन निकला होगा।

रायपुर से निकलते ही कार में उन्होंने आंखों में पट्‌टी बांध दी थी। वही पट्‌टी पूरे 14 दिन आंखों में बंधी रही। जब वे छोड़कर जा रहे थे, तब जेब में एटीएम कार्ड और कुछ रुपए रखे। जाते हुए कहा- बस मिल जाएगी। उसमें बैठकर चले जाना। छोड़ने के पहले यह भी कहा- तुम्हारी पुलिस से कहना हमने तुम्हें छोड़ दिया है, अब हमारे परिवार को भी छोड़ दें। उन्हें परेशान न करें।

‘किडनैपर्स ने छोड़ा तो काफी देर तक बैठा ही रहा’
उनके जाते ही वहां सन्नाटा छा गया। आंखों में पट्‌टी बंधी होने से कुछ सूझ नहीं रहा था। काफी देर बाद आंखों की पट्‌टी हटाई। कमरे में हल्की रौशनी थी। आस-पास कोई नहीं था। दिल तेजी से धड़कने लगा। कुछ देर तक समझ नहीं आ रहा था क्या करूं? आंखों से पट्‌टी हटाने के बाद भी वहीं बैठा रहा। पता नहीं कितनी देर वैसे ही बैठा रहा। फिर कुछ तेज कदमों की आवाजों से दिल बैठने लगा। एकाएक कुछ लोगों ने घेर लिया। घबराहट बढ़ गई। फिर किंसी ने कंधे पर हाथ रखकर कहा-डरो नहीं हम छत्तीसगढ़ पुलिस हैं। ये सुनते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे अब अपनों के बीच पहुंच गया। उसके बाद मुझे गाड़ी में बिठाकर सीधे दिल्ली लाया गया।

‘भोजन देते समय ही आंखों से पट्‌टी खोलते थे’
किडनैपर्स ने कभी अकेला नहीं छोड़ा। भोजन देते समय भी आंखों की पट्‌टी नहीं खोली जाती थी, बाथरूम भी अकेले जाने नहीं देते। मुझे आवाज से पता आभास होता कि कमरे में कितने लोग हैं। आवाज बदलने से अहसास होता कि आज नए लोग आए हैं। वे आपस में बात करते समय एक दूसरे को विराट, धोनी और कोहली कहकर पुकारते। पहले लगा उनके नाम होंगे, फिर अहसास हुआ पहचान छिपाने के लिए एक दूसरे को गलत नाम से पुकार रहे हैं।

‘पुलिस से डर गए थे किडनैपर्स’
दिन गुजरने के साथ उनके बात करने का अंदाज बदला जा रहा था। किडनैप करने के बाद वे बदतमीजी से बात करते थे। लेकिन, धीरे-धीरे उनकी बात करने का अंदाज बदलने लगा। भाषा भी बदलती जा रही थी। वे बार-बार ये कहने लगे थे कि आपकी छत्तीसगढ़ पुलिस तो पीछे पड़ गई है। क्या वो आपको छुड़ा लेगी? अंत के दो दिन तो वे भीतर से भयभीत लगते थे। वे कहने लगे थे अगर हमने तुम्हें छोड़ दिया तो पुलिस से कहना हमारे परिवार वालों को परेशान न करें। जिस दिन छोड़ा गया, उस दिन जाते जाते कार्ड और पैसे देकर कहा- यहां बस मिल जाएगी।

-जैसा एसएसपी आरिफ शेख को किडनैपर्स से छूटे कारोबारी प्रवीण सोमानी ने बताया।

8 जनवरी को अपहरण, 22 जनवरी को बरामद
रायपुर के जाने-माने कारोबारी प्रवीण सोमानी का 8 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था। बदमाशों ने उन्हें उत्तरप्रदेश के फैजाबाद में बंधक बनाकर रखा गया था। पुलिस का दबाव बढ़ने पर बदमाश उन्हें छोड़कर भाग गए थे। सोमानी को 22 जनवरी की सुबह चार बजे बरामद किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *