नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे के बीच अधिकतर मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. कहा जा रहा है कि ये इस्तीफ़े मंत्रिमंडल विस्तार की योजना के तहत लिए गए हैं लेकिन इसे टाइम बाय यानी सरकार को बचाए रखने और विधायकों को एकजुट करने के लिए वक्त हासिल करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ की बैठक में 28 में से क़रीब 20 मंत्री पहुंचे थे. और इन सभी मंत्रियों ने कमलनाथ को सामूहिक इस्तीफ़ा सौंपा. आपको बता दें कि सिंधिया खेमे के कुछ मंत्री पहले ही बेंगलुरु जा चुके हैं. कुल 17 विधायक बेंगलुरु गए हैं जिससे कमलनाथ सरकार का संकट बढ़ गया है. वहीं कमलनाथ ने कहा है कि माफ़िया की मदद से सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं हम उनकी कोशिश सफल नहीं होने देंगे.
MP में बड़ा सियासी फेरबदल
- मध्यप्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके 27 समर्थक विधायकों के मोबाइल फोन अचानक बंद होने के बाद बुलाई गई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मौजूद करीब 20 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रति आस्था जताते हुए सोमवार देर रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह मंत्रिमंडल की बैठक मध्यप्रदेश के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सोमवार दोपहर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर भोपाल लौटने के तुरंत बाद की. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर सोमवार देर शाम भोपाल आये थे.
- तीन राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए दो उम्मीदवारों का चयन करने के लक्ष्य से भाजपा की केन्द्रीय चुनाव समिति को दावेदार उम्मीदवारों की सूची भेजने के कुछ ही घंटे बाद प्रदेश भाजपा ने चुनावी रणनीति तय करने के लिए मंगलवार, होली के दिन विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. यह बैठक मंगलवार शाम छह बजे बुलाई गई है. पार्टी ने अपने सभी 107 विधायकों को इसमें शामिल होने को कहा है.
- मध्यप्रदेश कांग्रेस के विभिन्न गुटों में चल रही कथित अंदरूनी लड़ाई एवं कमलनाथ नीत प्रदेश सरकार को कथित रूप से भाजपा द्वारा अस्थिर करने के आरोपों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके समर्थक मंत्रियों सहित 27 विधायकों के मोबाइल फोन सोमवार शाम अचानक बंद हो गये.अनुमान लगाया जा रहा है कि सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने के लिहाज से ऐसा किया गया है.
- सिंधिया समर्थित जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं. इनके अलावा, सिंधिया समर्थक अन्य विधायकों से भी मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा.
- कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई में अंदरूनी कलह और उसके विधायकों को भाजपा द्वारा अपने पाले में करने के आरोपों के बीच सिंधिया समर्थित कुछ मंत्रियों सहित कई विधायक सोमवार को बेंगलुरु पहुंचे.सूत्रों ने बताया कि वे विशेष विमान से दिन में बेंगलुरु पहुंचे विधायक अज्ञात स्थान पर ठहरे हैं.
- न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार की देर रात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अपने आवास पर बैठक की. बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल रहे.भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है. केंद्र में उन्हें मंत्री भी बनाया जा सकता है. कमलनाथ सरकार के गिरने की स्थिति में बनने वाली नई सरकार में सिंधिया खेमे को एक उपमुख्यमंत्री पद भी भाजपा दे सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सिंधिया तक बात पहुंचा दी गई है.
- मध्यप्रदेश से तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. विधानसभा के मौजूदा संख्याबल के मुताबिक कांग्रेस को दो सीटें मिलने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एक सीट से दिग्विजय और दूसरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है. हालांकि चर्चा यह भी है कि इन दोनों में से किसी एक नेता को छत्तीसगढ़ अथवा किसी दूसरे राज्य से भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
- बात दें, पिछले मंगलवार को मध्यप्रदेश के 10 विधायक गायब हो गये थे, जिनमें दो बसपा, एक सपा, एक निर्दलीय एवं बाकी कांग्रेस के विधायक थे. इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता इन विधायकों को हरियाणा के एक होटल में ले गये हैं और कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये देने का प्रलोभन दे रहे हैं.
- मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं. इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं. कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है.