मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2019:
हिन्दू पंचांग के अनुसार 12 दिसंबर 2019 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है। हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि ही पूर्णिमा तिथि कहलाती है। जिसे पूर्णमासी के नाम से भी पहचाना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा भी ग्रहों की मजबूत स्थिति में रहेगा।
पूर्णिमा का शुभ समय-
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक ही रहेगी, उसके बाद पूर्णिमा शुरू हो जाएगी जोकि गुरुवार को सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगी और पूर्णिमा तिथि के दौरान पूर्ण चांद रात को ही दिखेगा। चंद्रोदय का समय है शाम 4 बजकर 35 मिनट तक है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व क्या है?
- – इस दिन को दैवीयता का दिन माना जाता है
- – महीनों में सबसे पवित्र माह का अंतिम दिन है
- – इस दिन ध्यान दान और स्नान विशेष लाभकारी होता है
- – इस दिन चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था
- – अतः इस दिन चन्द्रमा की उपासना जरूर करना चाहिए
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत-विधि-
- -सुबह उठकर भगवान का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
- -स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करके आचमन करते हुए ॐ नमोः नारायण कहकर, श्री हरि का आह्वान करें।
- -इसके बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें
- -अब पूजा स्थल पर एक वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं।
- -इसके बाद हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें।
- -हवन समाप्त होने पर सच्चे मन में भगवान का ध्यान करें।
- -व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान-दक्षिणा दें।
इस बार की पूर्णिमा की खास बातें क्या हैं?
- – चन्द्रमा अपनी सबसे मजबूत स्थिति में रहेगा
- – बृहस्पति चन्द्रमा का गजकेसरी योग भी होगा
- – अमृत और अमरता का कारक चन्द्रमा भी बलवान होगा
- – इसके अलावा सुख को बढ़ाने वाला ग्रह शुक्र भी स्वगृही होगा
- – इस पूर्णिमा को स्नान और दान करने से चन्द्रमा की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी
- – साथ ही साथ आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती जाएगी
किस प्रकार करें आज स्नान और ध्यान?
- – प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें
- – जल में तुलसी के पत्ते डालें
- – पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें
- – फिर स्नान करना आरम्भ करें
- – स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें
- – साफ़ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें , फिर मंत्र जाप करें
- – मंत्र जाप के पश्चात सफेद वस्तुओं और जल का दान करें
- – रात्रि में चन्द्रमा को जरूर अर्घ्य दें
- – चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं