सूर्य की रोशनी, हवा और समुद्र की लहरों से निकली ऊर्जा से बनाया कार्बन फ्री आईलैंड, राष्ट्रपति पुतिन ने की तारीफ

  • भिलाई के डीपीएस की छात्रा खुशी ने रशिया के सोची शहर में साथियों के साथ प्रदर्शन, काेई बाई प्रोडक्ट नहीं सिर्फ बिजली ही बनती है
  • परंपरागत ऊर्जा के स्थान पर बिजली उत्पादन का नया विकल्प बनाया, 5 भारतीय व 5 रूसी साथियों के साथ किया सफल प्रयोग

भिलाई.

छत्तीसगढ़ के भिलाई की बेटी खुशी गुप्ता ने परंपरागत ऊर्जा के स्थान पर बिजली उत्पादन का एक नया विकल्प बनाया। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इससे कोई बाई प्रोडक्ट नहीं निकलता। सिर्फ बिजली ही मिलती है। यह प्रयोग उन्होंने रशिया के सोची शहर में अपने 5 भारतीय और 5 रूसी साथियों के सहयोग से रशियन गाइड के मार्गदर्शन में बनाया। इसमें उन्होंने सोलर एनर्जी, वातावरण में बहती हुई हवा और समुद्र में आने वाले ज्वारभाटा से निकलने वाली एनर्जी का सही दिशा में उपयोग करने की जानकारी दी। इसके उपयोग से उन्होंने वहां कार्बन फ्री ग्रीन आईलैंड बनाया।

कार्यक्रम के आखिरी दिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी पहुंचे

खुशी और टीम के कार्यों की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने सराहना की। उन्हें स्प्रिकंलर से निकलने वाली काइनेटिक एनर्जी को बिजली में बदलने वाली अपनी खोज (इलेक्ट्रो स्प्रिंकलर) के बारे में बताया। एक शार्ट लिस्ट बुकलेट भी उन्हें दी। इसे देखने के बाद ग्लोबल वार्मिंग व कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम की दिशा में बेहतर काम करने प्रेरित किया।

25 सदस्यों को 5-5 की टीम में किया बांटा

25 सदस्यों की टीम भारत से गई थी। रूस में 25 और साथी मिले। प्रत्येक में एक रूसी शिक्षक को मेंटर बनाया गया। उसके बाद प्रत्येक टीम को अलग-अलग सब्जेक्ट दिए गए। इसमें खुशी को क्लीन एंड बैलेंस्ड कार्बन फ्री एनर्जेटिक सिस्टम मिला।

भिलाई की बेटी खुशी का ऐसे हुआ था स्पर्धा में चयन

सिंटरिंग प्लांट-3 के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर देवेंद्र गुप्ता और मनीषा गुप्ता की बेटी खुशी डीपीएस भिलाई में कक्षा में 11वीं में पढ़ती है। उन्होंने खेतों की सिंचाई के दौरान उपयोग किए जाने वाले स्प्रिंकलर को देखा। उसके घूमने से निकलने वाली ऊर्जा को बिजली में बदलने की कल्पना की।

10वीं कक्षा में पढ़ते हुए खोज की शुरुआत की थी

खुशी ने बताया कि जब वह 10वीं कक्षा में थी पढ़ा था कि ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती, उसका स्वरूप बदलता है। इसी सिद्धांत का पालन किया। इसके लिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियर पिता से चर्चा की। फिर दोनों ने मिलकर स्प्रिंकलर के घूमने से निकलने वाली काइनेटिक एनर्जी को रोशनी में बदला।

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