Edited By: Dhanesh Diwakar
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में चुनाव (Election) कोई भी हो इसमें हर बार तकरीबन हर राजनीतिक दल शराब बंदी (Liquor Ban) के वादों को दोहराता रहा है. लेकिन इन वादों और दावों के बीच राज्य में शराब की खपत के जो आंकड़े आए हैं वो काफी हैरान करने वाले हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हर साल हजार करोड़ रुपए औसत के हिसाब से शराब की बिक्री बढ़ रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 में छत्तीसगढ़ के लोग 6100 करोड़ रुपए की शराब पी गए. तो वहीं पिछले सात महीने में 3400 करोड़ की शराब की बिक्री हुई है.
शराब को लेकर आई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों के आंकड़े बताते हैं कि शराब की बिक्री में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017-18 में करीब 5100 करोड़ रूपए की शराब बिकी है. वहीं ये आंकड़ा 2018-19 में बढ़कर 61 सौ करोड़ हो गया. इस सत्र में एक अप्रैल से लेकर 15 अक्टूबर तक करीब 3400 करोड़ रुपए की शराब छत्तीसगढ़ के लोगों ने पी ली है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर इसी रफ्तार से बिक्री होती रही तो साल के अंत तक शराब बिक्री का ये आंकड़ा सात हजार करोड़ रुपए के पार जाने की संभावना है. रिपोर्ट में खपत के मामले में रायपुर पहले स्थान पर है. तो वहीं बिलासपुर दूसरे स्थान पर है. पिछले 2018-19 में प्रदेश में 6100 करोड़ रुपए की जो शराब बेची गई उसमें 3100 करोड़ देशी और 3000 करोड़ रुपए की विदेशी शराब शामिल है.
शराब की खपत और बिक्री को लेकर आई ताजा रिपोर्ट ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज कर दी है. कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को ही सिरे से नकार दिया है तो बीजेपी(BJP) ने शराब को भायदे का कारोबार करार दिया है. इस मसले पर कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि ये रिपोर्ट गलत है. उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल शराब की खपत में कमी आई है. लेकिन जब सूबे में बीजेपी की सरकार थी तो छत्तीसगढ़ शराब के मामले में देश में पहले स्थान पर था. तो वहीं बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस (Congress) ने प्रदेश की लोगों से झूठ बोला है. शराब बंदी का वादा अभी तक कांग्रेस ने पूरा नहीं किया है. इस वजब से प्रदेश शराब में डूबता जा रहा है.