- RTI में मांगी टुकड़े-टुकड़े गैंग की जानकारी
- गृह मंत्रालय ने अभी तक नहीं दिया जवाब
बीजेपी के मंत्रियों और नेताओं की ओर से अक्सर ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जुमले का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन वरिष्ठ पत्रकार साकेत गोखले की ओर से इस जुमले पर आरटीआई याचिका के जरिए पूछे गए सवालों ने इसे सार्वजनिक चर्चा के मंच पर ला दिया है. 26 दिसंबर 2019 को भेजी गई इस याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.
सूत्रों ने बताया, ‘इंटेलीजेंस या कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है.’ अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की आरटीआई याचिकाएं दाखिल करने का उद्देश्य गंभीर नहीं होता. वहीं पत्रकार गोखले कहते है कि अगर गृह मंत्रालय से इसका तय समयसीमा 26 जनवरी तक जवाब नहीं मिलता तो वो इस मामले को मुख्य सूचना आयुक्त तक ले जाएंगे.
गोखले ने फोन पर बताया कि वो अगर ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ में शामिल लोगों की सूची के बारे में पूछते हैं तो पूरी गंभीरता से ऐसा कर रहे हैं. गोखले ने कहा, ‘मेरी आरटीआई के पीछे कारण ये है कि देश के गृहमंत्री ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ शब्दावली का इस्तेमाल कर चुके हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी इसका कई मौकों पर इस्तेमाल किया है. जब वो ऐसी प्रवृत्ति के ऐसे गैंग का उल्लेख करते हैं तो ये सोचना सुरक्षित है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय स्टैंडर्ड ने ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के तहत ऐसी लिस्ट बना कर रखी होगी.’
जवाब की उम्मीद
गोखले के मुताबिक क्या ये संभव है कि गृह मंत्री भारतीयों के लिए ऐसी टिप्पणी करें जिसमें ऐसे शब्दों का बिना किसी कारण इस्तेमाल किया होगा. गोखले ने कहा, ‘मैं जवाब की उम्मीद कर रहा हूं. हमारे पास इंटेलीजेंस रिपोर्ट नहीं है. उन्हें या तो ऐसी लिस्ट के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा या बताना होगा कि ये कोरी कल्पना का नतीजा है.’ गोखले के मुताबिक वो आरटीआई याचिका के जरिए सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. गोखले ने कहा, ‘अगर मुझे जवाब नहीं मिलता तो मैं अपील के लिए जाऊंगा.’
गोखले ने कहा, ‘सबसे पहले इस जुमले का इस्तेमाल 2016 में जेएनयू के कुछ छात्रों के लिए किया गया था. लेकिन हाल में बीजेपी नेताओं ने राजनीतिक विरोधियों के लिए इसका इस्तेमाल किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषणों के दौरान कई बार इस जुमले का प्रयोग किया. राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता पर निशाना साधना हो या नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों पर, या चुनाव प्रचार के दौरान भाषणों में, शाह ने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को जिम्मेदार ठहराया.’
गोखले के मुताबिक 26 दिसंबर 2019 को जब ये आरटीआई याचिका दाखिल की गई, उस दिन भी दिल्ली में जनसभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था- ‘दिल्ली के टुकड़े-टुकड़े गैंग को सबक सिखाने और दंडित करने की जरूरत है.’
आरटीआई याचिका में जो सवाल पूछे गए थे वो इस प्रकार हैं-
1. कृपया ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग की परिभाषा बताइए जैसे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहचान की है. और क्या इस कथित गैंग की पहचान के लिए कोई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तय किया गया है?
2. कृपया बताएं कि क्या केंद्रीय गृह मंत्री ने कथित ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का जो उल्लेख किया वो मंत्रालय की विशिष्ट ब्रीफिंग या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से दी गई जानकारी पर आधारित है?
3. कृपया बताएं कि क्या केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग में शामिल नेताओं और सदस्यों की कोई लिस्ट तैयार कर रखी है, जिस गैंग का केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया?
4. बताइए केंद्रीय गृह मंत्री की घोषणा के मुताबिक ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय कौन सी दंडात्मक कार्रवाई/सजा की योजना बना रहा है? (ये भी स्पष्ट किया जाए कि आईपीसी या अन्य कानूनों की कौन सी धाराओं के तहत ये किया जाएगा).
साकेत गोखले ने बुधवार को एक ट्वीट भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि ‘उनकी आरटीआई में ‘कौन है टुकड़े-टुक़ड़े गैंग’ और उससे जुड़ी अन्य जानकारियां मांगे जाने पर गृह मंत्रालय चकरा गया है. उनकी जवाब देने की डेडलाइन दो हफ्ते में खत्म हो जाएगी. मान्यवर, ये मजेदार होने जा रहा है.’