- सांसदों के व्यवहार को नियंत्रित करने और कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए है नियम 374
- बाधा डालने वाले सदस्य का नाम लेकर स्पीकर उसे सत्र के बचे हुए समय के लिए निलंबित कर सकता है
- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जनवरी 2019 में 45 सांसदों को इस नियम के तहत निलंबित किया गया
- मार्च 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान रेकॉर्ड 63 सांसदों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था
नई दिल्ली
कांग्रेस के 7 लोकसभा सदस्यों को गुरुवार को स्पीकर टेबल से कागज उठाने और फाड़कर उछालने को लेकर मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके विरोध में शुक्रवार को राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सांसदों ने गांधी प्रतिमा के सामने विरोध जताया तो बांह पर काली पट्टी बांधकर संसद पहुंचे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस कार्रवाई का आधार पूछा। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री ने उन्हें नियम 374 की याद दिलाई और कहा कि पहले भी इस आधार पर सांसदों को निलंबित किया गया है। आइए जानते हैं क्या है यह नियम और कब-कब बड़ी संख्या में सांसद निलंबित किए गए।
पहले इस नियम को जानें
आप संसद की कार्यवाही को टीवी पर देखते अक्सर स्पीकर और सदस्यों को यह कहते हुए सुनते हैं कि सदन नियमों से चलता है। यही सच भी है। संसद की कार्यवाही रूल बुक के हिसाब से चलती है। सांसदों के व्यवहार को नियंत्रित करने और कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम 373 और 374 का इस्तेमाल किया जाता है।
नियम 374 (1), (2) और (3) के मुताबिक, यदि लोकसभा अध्यक्ष की राय में किसी सदस्य ने अध्यक्ष के प्राधिकारों की उपेक्षा की है या वह जान बूझकर कार्यवाही में बाधा डालता है तो स्पीकर उस सदस्य का नाम लेकर उसे सत्र के बचे हुए समय के लिए निलंबित कर सकता है। निलंबित सदस्य तुरंत लोकसभा से बाहर चला जाता है।
यदि कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट आकर या सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालकर जान बूझकर सभा के नियमों का उल्लंघन करते अव्यवस्था उत्पन्न करता है तो उस पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उसका नाम लिए जाने पर वह लोकसभा की पांच बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिए (जो भी कम हो) स्वतः निलंबित हो जाता है।
सुमित्रा महाजन ने निलंबित किए थे 45 सांसद
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जनवरी 2019 में 45 सांसदों को इस नियम के तहत निलंबित किया गया था। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामा करने वाले टीडीपी और अन्नाद्रमुक के 45 सांसदों पर कार्रवाई की थी। उन्होंने लगातार 2 दिनों में यह कार्रवाई की थी। पहले दिन 24 सदस्य 5 दिन के लिए निलंबित किए गए थे और अगले दिन 21 सांसद चार दिन के लिए निलंबित किए गए।
मीरा कुमार ने भी निलंबित किए सांसद
फरवरी 2014 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अविभाजित आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को निलंबित किया था। ये सांसद तेलंगाना राज्य के निर्माण के निर्णय का समर्थन या विरोध कर रहे थे। मीरा कुमार ने अगस्त 2013 में 12 सांसदों को पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया था। अप्रैल 2012 में उन्होंने 8 सांसदों को निलंबित किया था।
राजीव गांधी सरकार के दौरान सबसे बड़ी कार्रवाई
मार्च 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान रेकॉर्ड 63 सांसदों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था। सांसदों की संख्या के हिसाब से यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी।