संसद के उच्च सदन राज्य सभा का सोमवार को 250वां सत्र शुरू होगा। राज्य सभा ने पहला विधेयक द इंडियन टैरिफ (द्वितीय संशोधन विधेयक) के रूप में पारित किया था, जो आबादी के हिसाब से सांसदों की संख्या तय करने से संबंधित था। समाज सुधारों को आगे बढ़ाने वाला ऐतिहासिक स्पेशल मैरिज बिल भी 1954 में उच्च सदन से मंजूर हुआ। वर्तमान में सदन में 245 सीटें हैं।
69 साल में मात्र 11% महिला सदस्य बढ़ीं
1952 में संसद का उच्च सदन शुरू हुआ। उस वक्त 15 महिलाएं राज्यसभा सदस्य थीं, जबकि कुल 2016 सदस्य थे। अब 2019 में राज्य सभा के 69 साल पूरे होने पर महिला सदस्यों की संख्या दोगुनी भी नहीं हो सकी है। वर्तमान में 26 महिला सदस्य हैं जो कि मात्र 10.83 प्रतिशत की वृद्धि है। यह संख्या 2014 में सदस्य रहीं 31 महिलाओं से कम है।
एक नजर में
3817 विधेयक पारित हुए 67 वर्षों के दौरान
208 महिलाएं व 137 मनोनीत सदस्य
2282 सदस्य बने अब तक राज्य सभा सदस्य
ऐतिहासिक पल
…. जब राज्यसभा अध्यक्ष ने वोट डाला
उच्च सदन में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब राज्यसभा सभापति ने विधेयक पर मत डाला। 1991 में जब आपराधिक प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अध्यादेश के विरुद्ध विपक्ष ने 39 और सत्तापक्ष ने भी 39 मत दिए। तब सभापति ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
दहेज निषेध बिल पर संयुक्त सत्र
1959 में पेश हुए दहेज निषेध विधेयक पर दोनों सदनों में सहमति नहीं बनी। तब 1961 में राज्य सभा व लोक सभा के संयुक्त सत्र में यह विधेयक पास किया गया।
सबसे ज्यादा 7 बार सांसद रहे डॉ. महेंद्र प्रसाद
* 6 बार राज्य सभा सदस्य बनने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत पांच सदस्य हैं।
* 5 वीं बार उच्च सदन में सांसद गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी।
* 11 सदस्य ऐसे हैं जो पांच कार्यकाल पूरे कर चुके हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी।
* 45 सदस्य ऐसे हैं जो चौथी बार सांसद बने, इसमें वेंकैया नायडू भी हैं।