- विवेक चौधरी की छुट्टी, डॉ. जैन मेकाहारा के नए अधीक्षक
- डा.चौधरी की पर लगे थे कई गंभीर आरोप, क्या अस्पताल में मनाई जाती थी रंगरेलियां….?
रायपुर। डॉ. बी आर अंबेडकर मेडिकल कॉलेज हास्पीटल (मेकाहारा) के अधीक्षक पद पर करीब 17 सालों से जमे डॉ. विवेक चौधरी की छुट्टी कर दी गई है। विवादों से घिरे डॉ. चौधरी पर जो गंभीर आरोप लगे थे, उनमें उन पर अस्पताल में काम करने वाली लड़कियों के दैहिक शोषण का आरोप भी शामिल है। शराब के नशे में अस्पताल जाने, आर्थिक गड़बड़ी के मामलों की शिकायतें विभाग को मिली थी। कहा जाता है कि तमाम लिखित शिकायतों के बीच उन्हें इतने लंबे समय तक पद पर बनाए रखने के पीछे उनका सियासी प्रबंधन काम आ रहा था। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आज शाम एक आदेश जारी कर डॉ विवेक चौधरी की जगह मेडिकल कालेज की दूसरे प्रोफेसर डॉ. विनीत जैन को नया अस्पताल अधीक्षक और संयुक्त संचालक की जिम्मेदारी सौंपी है। पिछले दिनों मुख्य सचिव की तरफ से अस्पताल के निरीक्षण के लिए तैनात डॉक्टर से विवाद के बाद उन्हें तुरंत इस पद से हटाने का फैसला किया गया।
डॉ चौधरी लंबे समय से अस्पताल अधीक्षक और संयुक्त संचालक की जिम्मेदारी सम्हाल रहे थे। इस बीच उन्हें दो बार इस पद से हटाया भी गया, लेकिन वे अपने सियासी प्रबंधन कौशल के जरिए इस पद पर लौट आए थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही माना जा रहा था, मेकाहारा की कमान डॉ.विवेक चौधरी से छीनकर किसी दूसरे डॉक्टर को दी जाएगी, लेकिन नई सरकार को भी इस पर फैसला लेने में एक साल लग गए। सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव इस मामले में ठोस कदम उठाना चाहते थे, ताकि डॉ.चौधरी को हटाए जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन बेहतर तरीके से काम कर सके और फिर से विवेक चौधरी की वापसी न हो सके। काफी मंथन के बाद डॉ. निवीत जैन को इस पद पर लाया गया है।
विवेक चौधरी सालों से विवादास्पद बने हुए थे। उनके खिलाफ विभाग के पास शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। डाक्टरों ने उनके खिलाफ शिकायतें तो की ही थी, कई सामाजिक संगठनों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भी उनकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए थे। डॉ.चौधरी पर ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में होने के साथ ही पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए महिला कर्मियों के यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप भी इनमें शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो, स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया था। दरअसल ये आरोप पीड़िताओं की तरफ से नहीं लगाए गए, लिहाजा इन मामलों की जांच नहीं हो सकी, लेकिन अस्पताल में काम करने वाले कई सीनियर डॉक्टरों ने इन आरोपों को लेकर अपने विभाग के वरिष्ठ अफसरों तक ये बात पहुंचाई थी।
अस्पताल को करीब जानने वाले बताते हैं कि महिला कर्मियों की ड्यूटी लगवाने में भी ये सारा खेल चलता था। हालांकि मुख्यधारा डॉट काम इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता। मेकाहारा के लिए खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप तो कई बार लगे, लेकिन कभी इन आरोपों की संजीदगी से जांच नहीं कराई गई। प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने की वजह से खरीदी और प्रबंधन के लिए हर साल बड़ा बजट मिलता है। इसमें गड़बड़ी की शिकायतें आम रही है। खासतौर पर महंगे उपकरणों की खरीदी, सफाई और सुरक्षा के ठेके, आउट सोर्सिंग जैसे मामलों को लेकर तरह तरह के विवाद सामने आते रहे हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि डॉ. चौधरी को अधीक्षक पद से हटाए जाने के बाद उनके कार्यकाल को लेकर मिली शिकायतों की भी जांच शुरू होगी।