संसद के इस सत्र में लगभग 50 विधेयकों को प्रस्तुत किया जाना है, जिसमें नागरिकता (संशोधन) विधेयक सबसे महत्वपूर्ण है. इसका लक्ष्य धार्मिक उत्पीड़न के कारण पड़ोसी देशों से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है. पिछली बार विपक्ष ने इस बिल को धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताते हुए पुरजोर विरोध किया था.
राज्यसभा में पिछली बार बिल बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के अल्पमत में होने के कारण बिल पास नहीं हो सका था. इस बार यहां बिल को पास कराने पर खासा जोर रहेगा लेकिन यहां सरकार के लिए थोड़ी मुश्किल हो गई है क्योंकि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर खींचतान के बीच अब शिवसेना ने एनडीए से किनाारा कर लिया है.
महाराष्ट्र और हरियाणा राज्य में चुनावों के बाद यह पहला संसद सत्र होगा. बीजेपी को दोनों ही राज्यों में आराम से जीतने की उम्मीद थी, लेकिन हरियाणा में सरकार बनाने के लिए उसे दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी की जरूरत पड़ी. वहीं महाराष्ट्र भी अब उसके हाथ से लगभग निकल गया है. शिवसेना वर्षों पुराना गठबंधन तोड़कर अब विपक्षी दलों एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर विचार कर रही है.
इस सत्र में चर्चा के लिए हेल्थकेयर सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान विधेयक भी शामिल है, जिसका उद्देश्य डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को हिंसा से बचाना है. हाल के कुछ महीनों में डॉक्टरों और मरीजों के बीच झड़प की कई खबरें सामने आईं हैं. सितंबर में असम में भीड़ ने 73 साल के एक मेडिकल प्रैक्टिशनर की हत्या कर दी थी.
अन्य प्रमुख बिल जो कि उठाए जाएंगे, वे हैं- कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, द पेस्टिसाइड्स मैनेजमेंट बिल, द माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) संशोधन विधेयक और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) विधेयक.
इसके अलावा, राज्यसभा में कुल 10 बिल लंबित हैं, जिनमें से एक ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों की रक्षा करने और एक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश 2019 में संशोधन करने से संबंधित है.
इस महीने की शुरुआत में, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि विपक्षी दलों ने संसद सत्र के दौरान आर्थिक मंदी, आरसीईपी, कृषि संकट और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर एक संयुक्त विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.
राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि राज्यसभा के 250 वें सत्र में ‘भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका’ पर एक चर्चा शामिल होगी. नायडू ने संसद में अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी सदस्यों से सत्र के दौरान हर दिन उपस्थित रहने का आग्रह किया है.
आम चुनावों के तुरंत बाद हुए संसद के पिछले सत्र में तीन बिल पास किए थे. इनमें अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने, दूसरा राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक में संशोधन करने से संबंधित, और एक तीसरा ‘ट्रिपल तालक’को दंडनीय अपराध बनाने से संबंधित बिल शामिल है.
संसद के शीतकालीन सत्र में 26 दिनों में कुल 20 बैठकें होंगी. इसमें चार निजी सदस्यों के दिन शामिल हैं. संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को अपनाने की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक 26 नवंबर को सेंट्रल हॉल में आयोजित की जाएगी.