वर्ल्ड फिशरीज डे : कॅरिअर के लिए 12 से ज्यादा विकल्प हैं फिशरीज साइंस में

हाल ही में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मछली उत्पादन के क्षेत्र में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। विश्व में केवल चीन ही मछली उत्पादन में भारत से आगे है। वर्ष 2016-17 की तुलना में 2017-18 में मछली उत्पादन में 10 % और मत्स्य उत्पादों के निर्यात में 19 % की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 1990 के बाद वृद्धि का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। आने वाले पांच सालों में सरकार का लक्ष्य मछली व मत्स्य उत्पादों के आयात को दोगुना कर इसके व्यापार को 1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाना है। वर्तमान में यह आंकड़ा 45,000 करोड़ है। इसके लिए सरकार अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। आधुनिक फूड प्रोसेसिंग तकनीकों ने हमारे समुद्री भोजन निर्यात को मजबूती दी है। निश्चित तौर पर ये सभी तथ्य इस ओर इशारा कर रहे हैं कि मौजूदा दौर में कॅरिअर के लिहाज से फिशरीज सेक्टर एक शानदार विकल्प है। 21 नवंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड फिशरीज डे के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन मुंबई के साइंटिस्ट शशिभूषण से जानिए फिशरीज के क्षेत्र में कॅरिअर के अवसरों के बारे में।

पिछले 5 सालों में इस तरह बढ़ा है मछली उत्पादन
साल उत्पादन»
2017-18 125.90
2016-17 114.31
2015-16 107.62
2014-15 102.60
2013-14 95.79

मछली उत्पादन में ये हैं भारत के टॉप 5 राज्य
राज्य उत्पादन»
आन्ध्रप्रदेश 34.50
पश्चिम बंगाल 17.42
गुजरात 8.35
ओडिशा 6.85
तमिलनाडु 6.82

क्या है फिशरी साइंस
व्यावसायिक, पारिस्थितिकी और मनोरंजन के उद्देश्य से मत्स्य उत्पादों का संवर्धन अध्ययन फिशरीज साइंस कहलाता है। इसमेंं मछलियों के जीवन चक्र यानी कब और कहां मछली के अंडे उत्पन्न होते हैं, कितनी तेजी से मछलियां बढ़ती हैं, एक्वाकल्चर आदि का अध्ययन किया जाता है। इसके तहत मछली पालन समेत अन्य समुद्री जीवों का भोजन और बीमारियों के प्रबंधन के बारे में बताया जाता है। एक्वाकल्चर, फिश ब्रीडिंग, प्रोसेसिंग, सी-फूड के आयात व निर्यात से संबंधित जानकारी भी स्टूडेंट्स को दी जाती है। समृद्ध जैवविविधता वाली भारतीय तटीय रेखा मछली व अन्य समुद्री जंतुओं और जलीय पौधों से जुड़ी एक्वा फार्मिंग के लिए शानदार अवसर देती है। यही वजह है कि भारत मछली उत्पादन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है।
ग्रेजुएशन से लेकर रिसर्च तक के हैं अवसर
फिशरीज के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए यहां स्टूडेंट्स के पास ग्रेजुएशन से लेकर रिसर्च करने तक के ढेरों अवसर हैं। ग्रेजुएशन के लिए महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरी साइंसेस यूनिवर्सिटी नागपुर, अन्नामलाई यूनिवर्सिटी तमिलनाडु, चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी कानपुर, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय रायपुर आदि से फिशरीज साइंस में बीएफएससी कर सकते हैं। इसके लिए बारहवीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम में न्यूनतम 55% प्रतिशत अंक होने जरूरी हैं। इसके अलावा कुछ कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम के जरिए एडमिशन देते हैं। इसके तहत स्टूडेंट्स को एक्वाकल्चर, मेरीकल्चर, फिश प्रोसेसिंग, मछलियों की बीमारियों का उपचार व इकोलॉजी आदि विविध विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है। एक्वा फार्म, रिसोर्स मैनेजमेंट, फिश प्रोसेसिंग यूनिट आदि के प्रैक्टिकल नाॅलेज के लिए रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियंस (आरएडब्ल्यूई) के अंतर्गत ऑन फार्म स्टडीज भी कराई जाती है। यूजी के बाद स्टूडेंट्स मास्टर्स और रिसर्च भी इस क्षेत्र में कर सकते हैं। यह रिसर्च का बड़ा क्षेत्र है।
एमएफएससी में हैं अनेक स्पेशलाइजेशन
फिशरी साइंस में बीएफएससी के बाद आईसीएआर के अंतर्गत आने वाले सीआईएफई मुम्बई से आप एमएफएससी कर सकते हैं। इसके लिए आपको आईसीएआर द्वारा लिया जाने वाला ऑल इंडिया लेवल का कॉमन एंट्रेंस टेस्ट देना होगा। इसके अलावा कुछ प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी लेते हैं। एमएफएससी के लिए लगभग 12 स्पेशलाइजेशन कोर्स हैं। इनमें एक्वाकल्चर, पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी, फिशरीज रिसोर्स मैनेजमेंट, फिशरीज एक्सटेंशन, फिशरीज इकोनाॅमिक्स, फिशरीज माइक्रोबायोलॉजी, फिशरीज रिसोर्स मैनेजमेंट, फिशरीज इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फिश बायोकेमिस्ट्री एंड साइकोलॉजी, फिश न्यूट्रिशन एंड फीड टेक्नोलॉजी, फिश बायोटेक्नोलॉजी, फिश प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी, फिश जेनेटिक्स एंड ब्रीडिंग, फिश टेक्नोलॉजी एंड फिशरी इंजीनियरिंग कुछ प्रमुख कोर्स हैं।
एमटेक व पीजी डिप्लोमा के भी हैं विकल्प
केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन साइंस से एमबीए इन फिशरीज बिजनेस मैनेजमेंट और एमटेक इन फिशरीज इंजीनियरिंग का कोर्स कर सकते हैं। तमिलनाडु फिशरीज यूनिवर्सिटी से फिशरीज इंजीनियरिंग में बीई, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल से एमएससी इन लिम्नोलॉजी एंड फिशरीज, देश भगत यूनिवर्सिटी पंजाब सेे बीएससी ऑनर्स इन फिशरीज, गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी से डिप्लोमा इन इनलैंड फिशरीज, श्री वेंकटेश्वर वेटरनरी यूनिवर्सिटी आन्ध्रप्रदेश से डिप्लोमा इन फिशरीज और तमिलनाडु वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट (एनिमल एंड फिशरीज साइंस) में पीजी डिप्लोमा कर सकते हैं।
प्रतिष्ठित संस्थानों में पा सकते हैं नौकरी
फिशरी साइंस की पढ़ाई करने के बाद आप सरकारी संस्थानों जैसे मरीन प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट डवलेपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए), एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन एजेंसी (ईआईए), कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सीएए), फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई), फिशरीज सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (एनआईओ), इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन एंड इंफॉर्मेशन सर्विस (आईएनसीओआईएस) में बतौर टेक्निकल ऑफिसर या असिस्टेंट डायरेक्टर की नौकरी हासिल कर सकते हैं। वहीं राज्य सरकार के फिशरी डिपार्टमेंट में आप इंस्पेक्टर ऑफ फिशरीज/रिसर्च असिस्टेंट, असिस्टेंट डायरेक्टर, असिस्टेंट फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर (एएफडीओ)/ फिशरीज एक्सटेंशन ऑफिसर (एफईओ) और फिशरीज डेवलपमेंट ऑफिसर(एफडीओ) की पोस्ट हासिल कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *