प्रेग्नेंसी में पेनकिलर दवाएं लेने से बचें, चाय-कॉफी अधिक न लें और खाली पेट न रहें

प्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाओं को एसिडिटी, गैस, मिचली और उल्टी की समस्या होती है। इसकी वजह है प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन। प्रेग्नेंसी में इस हार्मोन के बढ़ने से आंतों में कुछ बदलाव होते हैं जो उल्टी, मुंह में खाने का वापस आना, सीने में जलन और अल्सर के रूप में दिखते हैं।

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, इस मौके पर जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर महर्षि से जानिए प्रेग्नेंसी में इन दिक्कतों से कैसे निपटें…

1. मिचली-उल्टी

यह दिक्कत गर्भावस्था में 60-70 फीसदी महिलाओं को होती है।

  • कब: प्रेग्नेंसी के पहले महीने के अंत में शुरू होकर तीसरे माह के खत्म होने तक अधिक होती है।
  • लक्षण: बार-बार उल्टी होना।
  • इलाज: डॉ€क्टरी सलाह से ही दवा लें €क्योंकि हानिकारक दवाएं बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं। खाली पेट न रहें, थोड़ा-थोड़ा खाना दिन में कई बार लें। तेल या मिर्च-मसाले वाला खाना खाने से बचें। ऐसे चीजें जो उल्टी का कारण बनती है, उनसे दूर रहें जैसे कुछ खास भोजन, गंध या तनाव आदि से बचें। पेनकिलर्स से दूरी बनाएं रखें।
  • डॉक्टर से कब सम्पर्क करें: उल्टी लगातार आ रही हो। या इसके साथ पेटदर्द, बुखार, दस्त, कमजोरी और बेहोशी छा रही हो। महिला का वजन 2.5 किलो. कम हो गया हो या उल्टी में खून आ रहा हो।

2. एसिडिटी

50-80 फीसदी महिलाएं प्रेग्नेंसी में ये दिक्कत महसूस करती हैं।

  • कब: गर्भावस्था के छठे माह के बाद अधिक ऐसा अधिक होता है।
  • लक्षण: पेट के ऊपरी हिस्से और छाती में जलन, खाना वापस मुंह में आना, खांसी होना और मिचली महसूस होना जैसे लक्षण सामने आते हैं।
  • इलाज: अधिक फैट और मिर्च वाला खाना न लें। ज्यादा चाय और कॉफी से बचें। खाने के बाद पानी अधिक न लें। एक घंटे बाद ही पानी पिएं। पेन किलर दवा लेने से बचें। एसिडिटी बढऩे पर बिस्तर का तकिए वाला हिस्सा थोड़ा ऊपर कर लें।
  • डॉक्टर से कब सम्पर्क करें: खानपान में परहेज के बावजूद दिक्कत बढ़े। लंबे समय तक ऐसा रहने से पोषक तत्वों की कमी होने पर बच्चे पर असर पड़ सकता है।

3. पेप्टिक अल्सर

उल्टी और एसिडिटी के मुकाबले अल्सर की समस्या प्रेग्नेंसी के दौरान कम होती है। इसके मामले कम होते हैं लेकिन लेकिन गंभीर हो सकते हैं।

  • कब: इसका कोई निश्चित समय नहीं।
  • लक्षण: पेटदर्द, उल्टी, भूख कम लगने जैसे लक्षणों को नजरअंदाज करने से पेप्टिक अल्सर की स्थिति बनती है।
  • इलाज: पेनकिलर दवाएं लेने से बचें। खानें में फल और हरी सब्जियां आदि को शामिल करें।
  • डॉक्टर से कब सम्पर्क करें: खून की उल्टी हो, आंतों में रुकावट और नियमित तौर पर कुछ खाने की इच्छा न हो।