श्मशान में चिमनी से निकलता धुआं दिखाते हुए बच्ची ने कहा- अंकल, मेरी मम्मी जा रही हैं, प्लीज उनका एक फोटो खींच लो; रात भर ये आवाज गूंजती रही…

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के भदभदा विश्राम घाट की एक तस्वीर शुक्रवार को दैनिक भास्कर के पहले पेज पर प्रकाशित हुई। इसमें एक साथ 40 से ज्यादा चिताएं जलती नजर आ रही हैं और ये सब कोरोना संक्रमितों के शव थे। इस तस्वीर के हवाले से भोपाल में कोरोना की भयावहता की कहानी फोटो जर्नलिस्ट संजीव ही बता रहे हैं…‘गुरुवार शाम जब मैं भदभदा विश्राम पर कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार कवर करने गया तो मुझे लगा यहां सामान्य सी ही बात होगी, लेकिन शाम 6 बजे के बाद संक्रमितों के शव आने की स्पीड काफी बढ़ने लगी। इस दौरान मैंने ड्रोन कैमरे और स्टिल कैमरे से कुछ फोटो-वीडियो शूट किए।’

‘उस वक्त वहां एक साथ 45 शव जल रहे थे। नीचे से तो पता नहीं चल रहा था, लेकिन जैसे ही मैं ड्रोन थोड़ी ऊंचाई पर ले गया तो स्क्रीन पर जो नजारा दिखा, उसे देखकर हैरान रह गया। यहां शाम करीब साढ़े सात बजे तक शव आने का सिलसिला जारी था। मैंने 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के दौरान भी फोटो क्लिक किए थे, लेकिन इतना भयावह दृश्य मैंने आज तक नहीं देखा था।’

‘फोटो क्लिक करते समय ऐसा माेमेंट भी आया जिसने मुझे पूरी रात बेचैन किए रखा। जब मैं फोटो क्लिक कर रहा था, उस दौरान 10 से 12 साल की उम्र के भाई-बहन मेरे पास ही खड़े थे। भदभदा विश्राम घाट के विद्युत शवदाह गृह से निकलते काले धुएं की ओर इशारा करते हुए उस बच्ची ने मुझसे कहा- अंकल, मेरी मम्मी जा रही हैं, प्लीज उनका एक फोटो खींच लो। वो क्षण और दृश्य ऐसा था, कि भुलाए नहीं भूलता, रातभर मेरे कानों में उस बच्ची की आवाज गूंजती रही। मैं पूरी रात सो नहीं सका। मैं तो यही कहूंगा कि हे ईश्वर, इस महामारी को अब जल्दी खत्म करो और धरती पर दया करो।’

'भदभदा विश्राम घाट के इसी विद्युत शवदाह गृह से निकलते काले धुएं की ओर इशारा करते हुए उस बच्ची ने कहा- अंकल, मेरी मम्मी जा रही हैं, प्लीज उनका एक फोटो खींच लो।' (फोटो : संजीव गुप्ता)
‘भदभदा विश्राम घाट के इसी विद्युत शवदाह गृह से निकलते काले धुएं की ओर इशारा करते हुए उस बच्ची ने कहा- अंकल, मेरी मम्मी जा रही हैं, प्लीज उनका एक फोटो खींच लो।’ (फोटो : संजीव गुप्ता)

संजीव कहते हैं, ‘उन्हें नहीं पता कि इसमें दोष किसका है, लेकिन प्रशासन और सरकार की लापरवाही तो साफ नजर आती है, क्योंकि शहर में कोरोना मरीजों के लिए न बेड है, न ऑक्सीजन, न ही इंजेक्शन और जरूरी दवा।’

भास्कर में शुक्रवार को प्रकाशित तस्वीर फोटो जर्नलिस्ट संजीव गुप्ता ने क्लिक की है। संजीव यूरोपियन फोटो एजेंसी के मध्य प्रदेश के कॉरेस्पॉन्डेंट भी हैं। साथ ही फ्रीलासिंग भी करते हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले संक्रमितों के आंकड़े छिपाए और अब मौत के आंकड़े छिपा रही है। आज न अस्पतालों में जगह है, न ही श्मशानों में। (फोटो : संजीव गुप्ता)
मध्य प्रदेश सरकार ने पहले संक्रमितों के आंकड़े छिपाए और अब मौत के आंकड़े छिपा रही है। आज न अस्पतालों में जगह है, न ही श्मशानों में। (फोटो : संजीव गुप्ता)

सरकारी आंकड़ों में 21 मौतें दर्ज, जबकि 5 दिनों में 356 संक्रमितों का अंतिम संस्कार हुआ

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले संक्रमितों के आंकड़े छिपाए और अब मौत छिपा रही है। आज न अस्पतालों में जगह है, न ही श्मशानों में। मरीजों को लेकर परिजन दर-दर भटक रहे हैं। शायद यही वजह है कि श्मशान आज सुलगकर खुद चीख-चीखकर सच्चाई बयां कर रहे हैं।

गुरुवार को भोपाल में 112 कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार हुआ। भदभदा में 72, सुभाष नगर में 30 दाह संस्कार हुए और झदा कब्रिस्तान में 10 शवों को दफन किया गया, लेकिन सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें दर्ज की गईं। पिछले पांच दिनों में भोपाल में 356 संक्रमितों का अंतिम संस्कार हुआ, लेकिन सरकारी आंकड़ों में इसकी संख्या सिर्फ 21 ही बताई गई। ऐसे में सवाल उठता है कि श्मशानों में ये शव किसके हैं?